मुंबई। महाराष्ट्र में नेता विपक्ष और एनसीपी लीडर अजित पवार (Ajit Pawar) ने नए संसद भवन पर एक बार फिर केंद्र सरकार के समर्थन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या जो 135 करोड़ के पार जा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए उनका प्रतिनिधित्व करने वाले लोग भी बढ़ेंगे, इसलिए मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस नए संसद भवन की जरूरत थी। इसे कोविड काल के दौरान भी रिकॉर्ड समय में बनाया गया है। उन्होंने पहलवानों के विरोध पर भी बयान दिया है।
बता दें कि नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का NCP समेत विपक्ष के 21 दलों ने बायकॉट किया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोदी सरकार पर भरोसे में नहीं लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, मैंने एक-दो घंटे ये कार्यक्रम देखा। मुझे लगा कि अच्छा हुआ कि इस आयोजन में नहीं गया। वहां जो लोग मौजूद थे और जो धर्मकांड चल रहा था, उसे देखकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के आधुनिक भारत की कल्पना और संसद में चल रहे आयोजन में अंतर दिख रहा था।
‘अंग्रेजों ने बनाई थी पुरानी संसद’- Ajit Pawar
अजित (Ajit Pawar) ने आगे कहा, अब इस नए संसद भवन में सभी को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए और आम लोगों के मुद्दों को हल करना चाहिए। सभी को इसमें भाग लेना चाहिए। अजित पवार ने कहा, इसे बिना राजनीतिक एंगल से देखें तो मैं यह कहना चाहता हूं कि हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों ने संसद बनाई थी। आप जानते हैं कि कई राज्यों ने अपने विधानसभा भवन बनाए हैं। वर्तमान में हमारे बीच चर्चा है कि महाराष्ट्र में नया विधानसभा भवन होना चाहिए।
‘देश को नए संसद भवन की जरूरत थी’
उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या को ध्यान में रखना चाहिए। जब पुरानी इमारत बनी थी, तब 35 करोड़ आबादी थी। अब हम 135 करोड़ पार कर गए हैं। यानी लोगों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस नए भवन की आवश्यकता थी। निर्माण एजेंसी ने कोरोना काल के बीच रिकॉर्ड समय में काम पूरा किया है और आखिरकार हमें एक अच्छा संसद भवन मिल ही गया।
जनवरी 1927 में हुआ था संसद भवन का उद्घाटन
बताते चलें कि पुराना संसद भवन 96 साल पुराना है। संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। उस समय इसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था। इसका निर्माण साल 1921 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ था।
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ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। उस दौर में संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे। संसद भवन का डिजाइन उस दौर के मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडविन के लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने साल 1912-13 में तैयार किया था।