हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का विशेष धार्मिक महत्व है। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल Pitru Paksha की शुरुआत भादो माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है।
जानें कब से पितृपक्ष (Pitru Paksha) की होगी शुरुआत
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है और इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, इस साल अधिक मास होने के कारण सावन माह 59 दिनों का है। इस कारण से सभी व्रत-त्योहार 12 से 15 दिन देरी से आएंगे। हर साल पितृपक्ष सितंबर माह में समाप्त हो जाते हैं, लेकिन अधिक मास के कारण इस साल अक्टूबर के मध्य तक चलेंगे।
श्राद्ध की तिथियां
29 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध , द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर – तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर – चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर – पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर – षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर – सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर – अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर – नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर – दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर – एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर – द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर – त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर – चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर – सर्व पितृ अमावस्या
जानें क्या है पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में श्राद्ध का महत्व
– पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके श्राद्ध कर्म किया जाता है।
– पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने का विशेष महत्व है।
– श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– श्राद्ध का अर्थ श्रद्धापूर्वक पितरों को प्रसन्न करने से है।
– पितृपक्ष (Pitru Paksha) में हर साल पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और हवन आदि किया जाता है। जो लोग पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितरों का तर्पण नहीं करते, उन्हें पितृदोष लगता है।
पितृपक्ष (Pitru Paksha) में न करें ये काम
ज्योतिष के मुताबिक, पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है। इसके अलावा गृह प्रवेश, कान छेदन, मुंडन, शादी, विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं कराए जाते हैं। इस दौरान कोई भी नए कपड़े नहीं खरीदे जाते हैं।