दुनिया को गरीब देशों पर ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के बढ़ते प्रभाव को समझने और उससे निपटने के लिए प्रेरित करने वाले बांग्लादेश के प्रमुख जलवायु वैज्ञानिक सलीमुल हक (Climate scientist Salimul Haq) का शनिवार को ढाका में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। हक के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जलवायु व स्वास्थ्य वैज्ञानिक और हक की मित्र क्रिस्टी एबी ने कहा, ‘‘सलीमुल ने हमेशा गरीब और वंचितों पर ध्यान केंद्रित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) का असर लोगों, उनकी जिंदगियों, उनके स्वास्थ्य और आजीविका (Health and Livelihood) पर पड़ता है।”
हक (Salimul Haq) ने ढाका में अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं विकास केंद्र स्थापित करने में मदद की। वह लंदन में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण व विकास संस्थान में वरिष्ठ सहायक और कार्यक्रम संस्थापक भी रहे और उन्होंने इंग्लैंड तथा बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाया भी है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने हक के प्रयासों के लिए 2022 में उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ (‘Order of the British Empire’) से सम्मानित किया था।
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हक (Salimul Haq) ने सैकड़ों वैज्ञानिक और लोकप्रिय लेख प्रकाशित किए और विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ (Science magazine ‘Nature’) ने उन्हें 2022 में दुनिया के शीर्ष 10 वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया। वर्षों से, हक का सबसे बड़ा उद्देश्य सबसे अधिक प्रभावित विकासशील देशों के लिए हानि और क्षति कार्यक्रम बनाना था। जलवायु परिवर्तन के कारण, और उन अमीर देशों से मुआवज़ा माँगना जिनके कारण उनके उत्सर्जन में सबसे अधिक समस्याएँ पैदा हुई हैं।