शिमला। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों के बागी होने के बाद सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ गई थीं। इस बीच कांग्रेस सरकार के लिए राहत भरी खबर आई है। कारण, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य (Vikramaditya Singh) ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। इसकी जानकारी हिमाचल के प्रभारी बनाए गए राजीव शुक्ला ने दी। उन्होंने बताया कि विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा वापस ले लिया है और कहा है कि आदमी बड़ा नहीं होता, संगठन बड़ा होता है। सरकार पर कोई संकट नहीं है।
दरअसल, विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने बुधवार सुबह मंत्री पद से इस्तीफे दे दिया था। विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू सरकार पर उनके खेमे के विधायकों की अनदेखी का आरोप लगाया था। उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए अपने पिता की तुलना आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से की थी।
विक्रमादित्य (Vikramaditya Singh) प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने पिता को याद कर भावुक हो गए थे। उन्होंने पिता की तुलना आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर से की। उन्होंने कहा था कि पूरा चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर हुआ। भारी मन के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस व्यक्ति की वजह से हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी, उनकी मूर्ति लगाने के लिए शिमला के मॉल रोड पर 2 गज जमीन नहीं दी। ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
संकट में सुक्खू सरकार, वीरभद्र सिंह के बेटे ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वह विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह भी इस बात पर भी सहमत हो गए हैं कि वह इस्तीफा के लिए जोर नहीं डालेंगे।”
कौन हैं विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ?
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक हैं। विक्रमादित्य सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने हंसराज कॉलेज से स्नातक और सेंट स्टीफेंस कॉलेज से मास्टर्स की है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2013 में की जब उन्हें हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया। वह 2013 से 2017 के बीच हिमाचल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वर्तमान में वह राज्य सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं।