काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal ‘Prachanda’) ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, वह संसद में विश्वासमत हासिल करने में नाकाम रहे। वे सिर्फ 1 साल 6 महीने ही प्रधानमंत्री रह पाए। फ्लोर टेस्ट में उन्हें 275 में से सिर्फ 63 सांसदों का साथ मिला। नेपाल की नेशनल असेंबली (National Assembly) के 194 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया। उन्हें सरकार बचाने के लिए 138 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में चीन समर्थक केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की पार्टी CPN-UML ने प्रधानमंत्री प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (Communist Party of Nepal) से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी। नेपाल के संविधान के आर्टिकल 100 (2) के तहत उन्हें एक महीने में बहुमत साबित करना था। वे आज इसमें फेल हो गए।
नेपाल में केपी ओली को बधाई देने लगे सांसद
संसद में स्पीकर देवराज घिमरे (Speaker Devraj Ghimire) ने जैसे ही प्रचंड के विश्वास मत में असफल होने की घोषणा की, वहां मौजूद सांसद केपी ओली (KP Sharma Oli) को बधाई देने लगे। ओली और देउबा जल्द ही मिलकर सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल (President Ram Chandra Paudel) के पास जाएंगे। दोनों दलों के पास संसद में कुल 167 सासंदों का समर्थन हासिल है। नेपाली संविधान के मुताबिक नई सरकार को अपने गठन के 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत जीतना होता है।
चीन समर्थक ओली ने भारत समर्थक देउबा का थामा दामन
ओली की पार्टी CPN-UML ने देश की सबसे बड़ी पार्टी शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) की नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress) से गठबंधन करने का फैसला किया है। बता दें कि शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) को भारत समर्थक माना जाता है, वहीं ओली चीन के करीबी माने जाते हैं। देउबा और ओली के बीच में प्रधानमंत्री पद को लेकर बातचीत हुई है। काठमांडू पोस्ट (Kathmandu Post) ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि नई सरकार में डेढ़ साल तक केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) पीएम बनेंगे। इसके बाद बचे हुए कार्यकाल तक देउबा प्रधानमंत्री बनेंगे। केपी ओली 4 साल बाद PM पद पर वापसी करेंगे। इससे पहले वे 2018 से 2021 तक प्रधानमंत्री रहे थे।