नई दिल्ली। ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार सलमान रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक “द सैटेनिक वर्सेज” (The Satanic Verses) राजीव गांधी सरकार द्वारा प्रतिबंधित किये जाने के करीब 36 साल बाद खामोशी से भारत वापस आ गयी है। पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी स्थित ‘बाहरीसन्स बुकसेलर्स’ में इस पुस्तक का “सीमित स्टॉक” बिक रहा है। इस किताब की विषय-वस्तु और लेखक के विरुद्ध काफी हंगामा हुआ था और दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों ने इसे ईशनिंदा वाला माना था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवंबर में उपन्यास के आयात पर राजीव गांधी सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी थी और कहा था कि चूंकि अधिकारी प्रासंगिक अधिसूचना पेश करने में विफल रहे हैं, इसलिए यह “मान लिया जाना चाहिए कि वह मौजूद ही नहीं है।” यह आदेश तब आया जब सरकारी अधिकारी पांच अक्टूबर 1988 की अधिसूचना प्रस्तुत करने में विफल रहे जिसमें पुस्तक (The Satanic Verses) के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था।
1988 में किताब प्रकाशन के कुछ समय बाद ही मुश्किल में पड़ गई थी। ईरानी नेता रूहोल्लाह खोमैनी ने एक फतवा जारी कर मुसलमानों से रुश्दी और उसके प्रकाशकों की हत्या करने को कहा था। रुश्दी ने लगभग 10 साल ब्रिटेन और अमेरिका में छिपकर बिताए। जुलाई 1991 में उपन्यासकार के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की उनके कार्यालय में हत्या कर दी गयी।
लेबनानी-अमेरिकी हादी मतर ने 12 अगस्त 2022 को एक व्याख्यान के दौरान मंच पर रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। भले ही यह पुस्तक बाहरीसन्स बुकसेलर्स पर बिक्री के लिए उपलब्ध है, फिर भी पाठकों की ओर से इसे मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, विशेषकर इसकी कीमत के कारण।