तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग (Tunnel) में बीते पांच दिनों से फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश जारी है। हालांकि फंसे हुए श्रमिकों से अभी तक कोई संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है, लेकिन NDRF टीम के लोग मंगलवार को ढहने वाली जगह तक पहुंचने में सफल रहें। यहां बीते 4-5 दिनों से पानी, कीचड़ और मलबे के जमा था, जिसके कारण टीम पहुंच नहीं पा रही थी।
रैट माइनर्स को ये सौंपा गया है। इन्होंने ही 2023 में उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही-सलामत बाहर निकाला था। फिलहाल रैट माइनर्स अंदर जाने के रास्तों का आकलन कर रहे हैं। अभी यह टीम अंदर जाकर सिर्फ हालात का जायजा लेगी। बचाव दल सुरंग में मिट्टी और मलबे को हटाने के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश कर रहे हैं।
रिपोर्ट की माने तो फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के कठिन इलाके के लिए थर्माकोल की नावें बचाव दल की सहायता के लिए आईं। हालांकि, मजदूरों के बचने की संभावना अब बेहद कम है। मजदूर 22 फरवरी की सुबह करीब 8:30 बजे से फंसे हुए हैं।
टनल (Tunnel) का पानी बन रहा मुसीबत
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सुरंग (Tunnel) ढहने के कारण मलबे और पानी का तेज बहाव बाधा बन रहा है। बचाव दल को सुरंग में ऑक्सीजन पहुंचाने और पानी निकालने में भी दिक्कत हो रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुरंग में मिट्टी और मलबे को हटाने के लिए कन्वेयर बेल्ट को फिर से शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।
कई एजेंसियां एक साथ कर रही काम
मजदूरों के इस अभियान में 11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां इस काम में लगी हुई हैं। इनमें सेना, नौसेना, मार्कोस कमांडो, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, MORPH, सिंगरेनी, HYDRAA, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नवयुग और एलएंडटी सुरंग विशेषज्ञ और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) शामिल हैं।
सरकार हार नहीं मानेगी-उपमुख्यमंत्री
उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि उन्होंने वादा किया है कि राज्य सरकार तब तक हार नहीं मानेगी, जब तक कि अंदर फंसे आठ लोगों को ढूंढ नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पहले से ही मौजूद देश भर के अनेक विशेषज्ञों के अलावा सरकार ऐसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के संपर्क में है, जिन्हें इस तरह की स्थिति का अनुभव है।