हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह में चतुर्थी तिथि दो बार पड़ती है। पहली कृष्ण पक्ष में दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की तिथि है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। गणेश जी को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है।
हिंदू कैलेण्डर के अनुसार विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है। दोपहर के दौरान भगवान गणेश की पूजा का मुहूर्त विनायक चतुर्थी के दिनों के साथ दर्शाया गया है। गणेश चतुर्थी का व्रत करने से विघ्नहर्ता भगवान गणेश सभी समस्याओं और विघ्न का अंत करते हैं।
विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) जून 2025
– चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 28 जून को 9.52 मिनट पर होगी
– चतुर्थी तिथि का समाप्त 29 जून को 9.14 मिनट पर होगी
– गणेश चतुर्थी का व्रत 28 जून 2025, शनिवार के दिन रखा जाएगा।
– इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10.55 से लेकर 1.30 मिनट तक रहेगा।
– इस दिन पुष्य नक्षत्र के साथ हर्षण योग का निर्माण हो रहा है।
विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) 2025 पूजा विधि
– विनायक चतुर्थी पर सुबह ही स्नान कर व्रक का संकल्प लें, इस दिन कोशिश करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
– गणेश जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
– गंगाजल से अभिषेक करें और चंदन का तिलक लगाएं।
– गणेश जी को उनकी प्रिय 21 दूर्वा अर्पित करें।
– वस्त्र, फूल, अक्षत और पान अर्पित करें।
– गणेश जी के समक्ष दीपक जलाएं।
– विनायक चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें।
– पूजा के बाद गणेश जी के प्रिय मंत्र “ॐ गण गणपतये नमः” का जप करें।
– गणेश जी की आरती करें।
– गणेश जी को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं।
गणेश जी के मंत्र
– ॐ गं गणपतये नमः
– ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
– ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपत्ये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
– ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥