समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री आजम खान (Azam Khan) ने सीतापुर जेल में बिताए अपने दिनों का एक दर्दनाक किस्सा साझा किया है। उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए उन्हें सबसे ज्यादा डर अपने बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) के एनकाउंटर का सताने लगा था। आजम ने यह बातें कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान कही। हाल ही में जेल से रिहा हुए आजम खान (Azam Khan) इन दिनों रामपुर स्थित अपने आवास पर हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा आया जब उन्हें लगा कि शायद उनका बेटा जिंदा वापस नहीं लौटेगा।
तीनों को एक ही जेल में रखा, फिर बाद में कर दिया अलग
आजम खान (Azam Khan) ने बताया कि शुरू में उन्हें, उनकी पत्नी और बेटे को एक ही जेल में रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद तीनों को अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि यह उस वक्त की बात है जब मुझे और मेरे बेटे को सीतापुर जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किया जा रहा था। आजम के अनुसार, रात के करीब तीन बजे अचानक पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सोते से जगा दिया और कहा कि ट्रांसफर किया जा रहा है। वह बोले कि यह ऐसा अनुभव था जिसका दर्द हर पिता महसूस कर सकता है।
आजम खान (Azam Khan) ने बताया कि जब उन्हें जेल से बाहर निकाला गया, तो उन्होंने देखा कि उनके लिए एक गाड़ी तैयार थी और बेटे अब्दुल्ला के लिए दूसरी गाड़ी। यह देखकर उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि आप मेरे बेटे को अलग गाड़ी में क्यों ले जा रहे हैं? उसे मेरे साथ भेजिए। इस पर अधिकारियों ने कहा कि दोनों की जेलें अलग हैं, इसलिए दोनों को अलग-अलग भेजा जाएगा। आजम ने फिर पूछा कि मेरे बेटे को किस जेल में भेजा जा रहा है? लेकिन अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि वहां पहुंचने पर उन्हें पता चल जाएगा।
‘मुझे डर सताने लगा कि कहीं उसे मार न दिया जाए’
आजम खान (Azam Khan) ने भावुक होते हुए बताया कि उस रात जब उन्होंने अपने बेटे से गले मिलकर विदा ली, तो उनके दिल में गहरी आशंका थी। उन्होंने कहा कि मैं जेल में रहते हुए एनकाउंटरों की खबरें सुन रहा था। जब मैंने देखा कि मेरे बेटे को मुझसे अलग किया जा रहा है, तो मुझे डर सताने लगा कि कहीं उसे मार न दिया जाए।
उन्होंने बताया कि उस वक्त उन्होंने बेटे अब्दुल्ला से कहा कि बेटे, जिंदगी रही तो मिलेंगे, नहीं रही तो ऊपर मिलेंगे। आजम खान ने कहा कि बेटे से अलग होने के बाद उनकी सारी रात बेचैनी में बीती। उन्हें अगले दिन तक चैन नहीं मिला, जब तक यह खबर नहीं मिली कि अब्दुल्ला सुरक्षित हैं।
वह वक्त उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था
आजम खान (Azam Khan) ने बताया कि बाद में पता चला कि उनके बेटे अब्दुल्ला को हरदोई जेल भेजा गया था। जबकि वह खुद दूसरी जेल में थे। उन्होंने कहा कि वह वक्त उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था। एक पिता के रूप में वह उस दर्द को कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि मुझे डर था कि अगर मेरे बेटे के साथ कुछ हो गया, तो मैं कभी खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा। उस वक्त बस यही दुआ थी कि मेरा बेटा सही सलामत रहे।
जेल से रिहाई के बाद आजम खान (Azam Khan) फिलहाल रामपुर स्थित अपने घर पर रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेल में बिताए दिनों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। राजनीति और सत्ता के खेल से ऊपर इंसानियत और परिवार का महत्व अब उन्हें और गहराई से समझ में आया है। उन्होंने कहा कि जेल के अनुभव ने उनकी सोच बदल दी है। अब वह सिर्फ अपने परिवार और जनसेवा पर ध्यान देना चाहते हैं।









