सनातन शास्त्रों में बताया गया है कि साल में कुल 12 अमावस्या और इतनी ही पूर्णिमा पड़ती हैं। यानी हर माह में एक अमावस्या और एक पूर्णिमा पड़ती है। सनाधन धर्म में कुल अमावस्या बहुत विशेष मानी जाती हैं। अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। ये हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना होता है। मार्गशीर्ष माह में मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) मनाई जाती है।
इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी का पूजन किया जाता है। अमावस्या का दिन पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों को खुश करने के लिए उनका तर्पण, किसी पवित्र नदी में स्नान और गरीबों को दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर पूजा-पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं। वहीं, विष्णु जी की कृपा से घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि रहती है। आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) कब मनाई जाएगी? साथ ही जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि 9 नवंबर 2025 की सुबह 9 बजकर 43 मिनट शुरू हो जाएगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) 20 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) की पूजा का मुहूर्त
इस दिन सूर्योदय- सुबह 06:48 बजे होगा। पितरों की पूजा का समय- सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा।विष्णु जी पूजा का मुहूर्त- सुबह 05:01 से सुबह 05:54 तक रहेगा।राहुकाल- दोपहर 01:26 से दोपहर 02:46 बजे तक रहेगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।सूर्य देव को जल अर्पित करें और मंत्रों का जाप करना चाहिए।घर के मंदिर में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। विष्णु जी को जल, फल, फूल, अक्षत, चंदन, वस्त्र और मिठाई अर्पित करनी चाहिए।विष्णु मंत्रों का जाप करनी चाहिए। साथ ही विष्णु चालीसा पढ़नी और उनकी आरती करनी चाहिए।किसी पितरों का तर्पण या उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करवानी चाहिए।पशु-पक्षियों को खाना खिलाएं और गरीबों को दान करना चाहिए।









