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प्रदेश की एक ऐसी सीट जहां बार-बार निर्दलीयों ने गाड़ा है झंडा

Desk by Desk
23/02/2022
in उत्तर प्रदेश, प्रयागराज
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independent

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लखनऊ। संगमनगरी प्रयागराज में एक से बढ़कर एक सियासी दिग्गज हुए लेकिन बिरले ही पार्टी लाइन से हटकर व्यक्तिगत पहचान बना सके। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि चुनावी समर में पिछले तीन दशकों में किसी भी निर्दल (independent) की दाल नहीं गल सकी।

पार्टी ने टिकट काट दिया तो बड़े से बड़े दिग्गज या तो शांत होकर बैठ गये या फिर दूसरे दल का सहारा लेकर राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करते नजर आये। जिले में इलाहाबाद पश्चिम सीट ने सर्वाधिक चार बार निर्दलीयों को बागडोर सौंपी है।

आखिरी बार 1993 में इलाहाबाद पश्चिम से अतीक अहमद निर्दलीय चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। उससे पहले 1989 और 1991 में भी अतीक अहमद को इसी सीट से निर्दलीय जीत हासिल हुई थी।

इलाहाबाद पश्चिम से ही 1969 में हबीब अहमद निर्दलीय चुने गये थे। 1967 में करछना से निर्दलीय एस दीन ने कांग्रेस उम्मीदवार के. प्रसाद को हराकर चुनाव जीता था। 1967 में ही हंडिया से अथईराम ने निर्दलीय जीत दर्ज की थी। कई सीटों पर कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने कांटे की टक्कर तो दी लेकिन जीत से दूर ही रहे।

1993 में हंडिया से निर्दलीय उतरे राकेशधर त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे। उस चुनाव में बसपा के जोखूलाल यादव को जीत मिली थी। 1989 में सोरांव से जनता दल के भोला सिंह को जीत मिली थी और निर्दल प्रत्याशी मो. शमी को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। 1967 में बारा से कांग्रेस के हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस जीते थे और निर्दलीय एचएस पांडेय उपविजेता रहे।

1967 में इलाहाबाद पश्चिमी से कांग्रेस के चौधरी नौनिहाल सिंह जीते थे और निर्दलीय बीपी कुशवाहा दूसरे स्थान पर थे। 1967 में कौड़िहार से कांग्रेस के एसएन सिंह विजयी हुए तो निर्दलीय आरपी पटेल उपविजेता बने थे।

Tags: Election 2022UP Assembly Election 2022up chunav 2022up election 2022चुनावचुनाव 2022विधानसभाविधानसभा चुनाव 2022
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