प्रयागराज। बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) अब संयासी बन गई हैं। वह अब एक्ट्रेस नहीं, बल्कि महामंडलेश्वर कहलाएंगी। 25 साल बाद भारत सिर्फ महाकुंभ (Maha Kumbh) के लिए लौटीं ममता को प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ में भगवा गेटअप में देखा गया था। माथे पर चंदन, गले में रुद्राक्ष माला और कंधे पर झोला टांगे वह किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। वहां वह आचार्य महामंडलेश्वर डाक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मिली थीं। और अब बताया जा रहा है कि उनका पट्टाभिषेक किया जाएगा।
बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने महाकुंभ 2025 के दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने का ऐलान किया है। 24 जनवरी को ममता संगम में पिंडदान करेंगी और उसी दिन शाम छह बजे किन्नर अखाड़े में उनका पट्टाभिषेक कार्यक्रम आयोजित होगा। ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी जय अम्बानंद गिरी के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान कुछ तस्वीरें भी सामने आईं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। महाकुंभ 2025 में ममता का यह कदम धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, और किन्नर समाज के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है। पट्टाभिषेक और पिंडदान के कार्यक्रम में ममता कुलकर्णी का सम्मान समारोह भी होगा।
ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) का बदल जाएगा नाम
किन्नर अखाड़े के अंदर की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई थीं। जहां उन्हें घंटों महाकुंभ और धर्म अध्यात्म के मुद्दों पर बात करते हुए देखा गया था। उन्होंने संगम में आस्था की डुबकी भी लगाई थी। उन्होंने कहा कि यहां आना उनका सौभाग्य है। वह धन्य हो गई हैं। ममता (Mamta Kulkarni) कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनने के बाद नाम भी बदल जाएगा।
वह ममता नंद गिरी के नाम से जानी जाएंगी। एक्ट्रेस का कहना है कि उनका जन्म भगवान के लिए हुआ है। वह अब दोबारा एक्टिंग फील्ड में नजर नहीं आएंगी। उनके मुताबिक, उन्होंने तो मेकअप करना तक छोड़ दिया है।
ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) का होगा पट्टाभिषेक
उनके प्रयागराज पहुंचने और आचार्य महामंडलेश्वर से मुलाकात के बाद बताया गया था कि वह उनके सानिध्य में महामंडलेश्वर बन जाएंगी और इसकी तैयारी किन्नर अखाड़े ने शुरू भी कर दी थी। शाम तक ये प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। वह संगम के संतो के साथ स्नान करेंगी और पिंडदान करके वह महामंडलेश्वर की उपाधि अपना लेंगी।