कानपुर। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खजांची रहे जय बाजपेई की चार अचल संपत्तियों को कानपुर जिला प्रशासन ने रविवार को जब्त कर लिया है। इन संपत्तियों पर सरकारी ताला लगाकर सील कर दिया है। इस दौरान जय बाजपेई का पूरा परिवार सड़क पर आ गया। जय बाजपेई की पत्नी श्वेता बाजपेई ने प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई पर जमकर भड़ास निकाली।
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रविवार को प्रशासनिक टीम कई थानों की फोर्स और पीएसी के साथ जय बाजपेई के मकान पर पहुंची। बता दें कि मकान में रहने वाले किराएदार शनिवार देर रात ही अपना सामान समेटकर वहां से चले गए थे। जिला प्रशासन ने तीन मकानों पर ताला लगाकर सील की मोहर लगा दी। चारों भाइयों के जेल जाने के बाद उनकी पत्नियां और बच्चे उस मकान में रह रहे थे, जिसमें जय की मां प्रसून बाजपेई रह रही थीं। जिला प्रशासन की टीम मकान को जब्त करने के लिए पहुंची। प्रशासनिक टीम ने कार्रवाई करते हुए परिवार के सभी सदस्यों को घर से बाहर किया और संपत्ति को सील कर दिया।
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श्वेता ने मीडिया से कहा कि मेरे पति निर्दोष हैं। आप लोग मेरे पति के बारे में सही बातें लिखते तो आज मैं इस हाल में यहां पर खड़ी नहीं होती। आप लोग किसी भी इंसान को अच्छा भी बना सकते हो और बुरा भी। श्वेता ने घर के पड़ोस में रहने वाले एक अधिवक्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह मेरे पति के पीछे पड़ा हुआ था। उसी की वजह से यह सब हुआ है।
श्वेता ने बताया कि बिना नोटिस की गई कार्रवाई
श्वेता ने बताया कि विकास दुबे के पड़ोस में हमारा गांव है। सिर्फ हमारा इतना ही संबंध था। वह कभी हमारे घर नहीं आया और न ही हम लोग वहां गए। पुलिस ने कहा कि फर्जी कहानी बताकर पति को जेल भेज दिया। हमसे किसी तरह का सबूत नही मांगा गया, बिना नोटिस दिए ही जब्त करने के लिए आ गए।
कानपुर के डीएम ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
कानपुर पुलिस ने जय बाजपेई और उसके भाईयों की ओर से अर्जित की गई संपत्ति को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें जब्तीकरण को लेकर भी विवरण दिया गया था। यह कहा गया था कि जय और उसके भाइयों ने अपराध के जरिए संपत्ति अर्जित की है। पुलिस ने रिपोर्ट बनाकर डीएम आलोक तिवारी को सौंपी थी।
इस रिपोर्ट पर डीएम ने संपत्ति जब्त करने का आदेश दे दिए थे। इन संपत्तियों में 8 भवन व भूखंड, 5 बाइकें, एक स्कूटी और 6 लग्जरी कारें शामिल हैं। इसमें वे तीन लग्जरी कारें भी शामिल हैं, जो बीते 5 जुलाई को विजय नगर चौरोहे से बरामद हुई थीं। इन तीन कारों का इस्तेमाल बदमाशों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए होने वाला था।
गैंगस्टर ऐक्ट तहत हुई थी कार्रवाई
जय बाजपेई समेत उसके चारों भाईयों पर 31 जुलाई को नजीराबाद थाने में गैंगस्टर ऐक्ट की कार्रवाई की गई थी। जय के तीनों भाई अजयकांत, रजयकांत और शोभित बिकरू कांड के बाद से फरार चल रहे थे। पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही थी। गैंगस्टर की कार्रवाई होने के बाद पुलिस ने तीनों पर 25 हजार का इनाम रखा था। पुलिस ने बीते 1 सितंबर को तीनों के घर के बाहर मुनादी पिटवाकर 82 की कार्रवाई का नोटिस चस्पा किया था। पुलिस ने अजयकांत, रजयकांत और शोभित को हाजिर होने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। साथ ही कहा गया था कि यदि हाजिर नहीं होते हैं तो कुर्की की जाएगी।
बीते शुक्रवार को अजयकांत, रजयकांत और शोभित ने कानपुर की गैंगस्टर कोर्ट में अधिवक्ताओं की पोशाक में सरेंडर किया था। पुलिस को भी इस बात की भनक थी कि तीनों भाई सरेंडर कर सकते हैं। कचहरी के चारों तरफ तीनों को दबोचने के लिए जाल बिछाया था। पुलिस को चकमा देते हुए तीनों ने सरेंडर कर दिया। फिलहाल, न्यायालय से तीनों भाइयों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।