गुजरात में कोरोना बेकाबू होता दिख रहा है और मामलों में भी जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। स्थिति इतनी खराब है कि अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है।
इस संकट के बीच राज्य सरकार पर कोरोना के असल आंकड़े छिपाने का आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि राज्य में हो रही असल मौतों को दबाया जा रहा है। अब इस मुद्दे पर गुजरात हाईकोर्ट की तरफ से सरकार को फटकार लगाने के साथ साथ नसीहत दी गई है।
आदेश में गुजरात हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर सरकार की तरफ से कोरोना के असल आंकड़े छिपाए जा रहे हैं, तो इससे जनता का सरकार के प्रति विश्वास कम होगा और घबराहट का भी माहौल बनेगा। आदेश में कहा गया है- असल तस्वीर छिपाने से किसी का कोई फायदा नहीं होने वाला है।
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असल आंकड़ों को छिपाने की वजह से लोगों में डर पैदा होगा, विश्वास कम होगा और बड़े स्तर पर घबराहट देखने को मिलेगी। वहीं हाईकोर्ट की तरफ से यहां तक कहा गया है कि असल तस्वीर का खुलासा करने से लोगों में जागरूकता आएगी और वे कोरोना प्रोटोकॉल का और सख्ती से पालन कर पाएंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वे कोरोना के असल आंकड़े सामने रखे जिससे किसी भी तरह का भ्रम ना फैले और दूसरों को भी मिर्च-मसाला लगा लोगों के बीच डर का माहौल पैदा करने का मौका ना मिले। वहीं सरकार से ये उम्मीद की गई है कि वे खुद सामने आकर कोविड के सक्रिय मरीज, महामारी से हुई मौतें के बारे में विस्तार से बताए। इस सब के ऊपर कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि जनता को विश्वास में लेने से सरकार को इस महामारी से लड़ने में मदद मिलेगी और लोगों को भी अहसास हो पाएगा कि उनकी सरकार मुश्किल समय में उनके लिए क्या कदम उठा रही है।
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मालूम हो कि जिस मुद्दे पर कोर्ट की तरफ से गुजरात सरकार को फटकार लगाई गई है, पिछले कई दिनों से इसको लेकर विवाद देखने को मिल रहा है। कांग्रेस की तरफ से लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं कि रुपाणी सरकार ने कोरोना के असल आंकड़े छिपाए हैं। गिर सोमनाथ जिले का हवाला देते हुए कांग्रेस विधायक विमल चूड़ासामा ने कहा है कि वहां पर पिछले 17 दिनों में 39 लोगों की कोरोना से मौत हुई है लेकिन गुजरात सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से इसका खुलासा नहीं किया गया। विधायक की माने तो ये 39 मरीज वेरावल सिविल हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे।