धर्म डेस्क। आज (18 जुलाई 2020) को शनि प्रदोष है। यह सावन के महीने में पड़ने वाला पहला शनि प्रदोष व्रत है। इस बार सावन के महीने में दो बार शनिवार के दिन शनि प्रदोष का संयोग है। शनि प्रदोष का व्रत शनि दोष से छुटकारा पाने और शिव कृपा के लिए विशेष फलदायी होता है। सावन के महीने में शनि प्रदोष व्रत का योग बहुत ही शुभ माना गया है। सावन के महीने में शनि प्रदोष का संयोग 18 जुलाई और 1 अगस्त को है। सावन के महीने में दो शनि प्रदोष का संयोग इससे पहले 10 साल पहले 2010 में बना था। सावन के महीने में इस शनि प्रदोष के बाद अब दोबारा ऐसा संयोग 2027 में बनेगा, जब 31 जुलाई और 14 अगस्त 2027 को ऐसा संयोग बनेगा।
सावन में शनि प्रदोष व्रत का महत्व
सावन के महीने में शनि प्रदोष का संयोग बहुत ही फलदायी है। सावन के महीने में एक साथ भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस बार सावन के महीने में यह तिथि दो बार आएगी। सावन के महीने में जिन लोगों को शनि दोष की पीड़ा है, जो लोग शनि की साढ़ेसाती, महादशा और ढैय्या से परेशान रहते हैं उनके लिए यह संयोग बहुत ही लाभदायक होता है। इस दिन शनि पूजा और शिवलिंग का जलाभिषेक करने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
भगवान शिव शनि देव के आराध्य और गुरु हैं। इस कारण से सावन के महीने में शनि और शिव पूजा एक साथ करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। भगवान शिव की साधना के लिए प्रदोष व्रत काफी फलदायक है। यह व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन किया जाता है। जब यह व्रत जब शनिवार को पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष कहा जाता है। शनिवार के दिन इस पावन व्रत को पुत्र की कामना से किया जाता है। प्रदोष काल में की जाने वाली साधना, व्रत एवं पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा गया है।
शनि प्रदोष व्रत विधि
त्रयोदशी के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत पुत्र की कामना, कर्ज से से मुक्ति, सुख-समृद्धि-सौभाग्य और आरोग्य आदि की कामना से किया जाता है। इस व्रत के दिन साधक को सुबह उठकर स्नान-ध्यान के पश्चात् इस व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूरे दिन व्रत रखते हुए सायंकाल सूर्यास्त के बाद एक बार फिर स्नान करने के पश्चात् भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन एवं साधना करना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत का फल
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसका दु:ख दूर होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं।