भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध आज से शुरू हो गए हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, श्राद्ध पक्ष शनिवार, 10 सितंबर से शुरू होगा और रविवार, 25 सितंबर को इसका समापन होगा. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल श्राद्ध पक्ष 15 दिन की बजाए 16 दिन के रहने वाले हैं. पितृपक्ष (Pitru Paksha) में ऐसा संयोग 16 साल बाद आया है. इससे पहले ऐसा संयोग साल 2011 में बना था. इस बीच 17 सितंबर को कोई श्राद्ध कर्म नहीं किए जाएंगे.
श्राद्ध का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस दौरान हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देने आते हैं और उनकी कृपा से जीवन में चल रही तमाम समस्याएं खत्म हो जाती हैं. पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के अलावा गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना भी बहुत फलदायी माना जाता है.
कब होगा किसका श्राद्ध
10 सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध- जिन बुजुर्गों की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो, उनका श्राद्ध अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ही किया जाता है.
11 सितंबर – द्वितीया का श्राद्ध- द्वितिया तिथि पर मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध इसी दिन किया जाता है.
12 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई है, उसका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.
13 सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध- जिनका देहांत चतुर्थी तिथि को हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.
14 सितंबर – पंचमी का श्राद्ध- अविवाहित या पंचमी तिथि पर मृत्यु वालों का श्राद्ध पंचमी तिथि को होता है. इसे कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं.
15 सितंबर – षष्ठी का श्राद्ध- जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई है, उनका श्राद्ध षष्ठी तिथि को किया जाता है.
16 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध- सप्तमी तिथि को चल बसे लोगों का श्राद्ध सप्तमी तिथि पर होगा.
17 सितंबर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं है
18 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध- अष्टमी तिथि पर मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.
19 सितंबर – नवमी का श्राद्ध- सुहागिन महिलाओं, माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन करना उत्तम माना जाता है. इसे मातृनवमी श्राद्ध भी कहते हैं.
20 सितंबर – दशमी का श्राद्ध- जिनका देहांत दशमी तिथि पर हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन होगा.
21 सितंबर – एकादशी का श्राद्ध- एकादशी पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है.
22 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध- द्वादशी के दिन मृत्यु या अज्ञात तिथि वाले मृत संन्यासियों का श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है.
23 सितंबर – त्रयोदशी का श्राद्ध- त्रयोदशी या अमावस्या के दिन केवल मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है.
24 सितंबर – चतुर्दशी का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना, बीमारी या खुदकुशी के कारण होती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है. फिर चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि पर हुई हो.
25 सितंबर – अमावस्या का श्राद्ध- सर्वपिृत श्राद्ध