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26 साल बाद BJP नेता समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा, जानें पूरा मामला

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सुलतानपुर में एमपी/एमएलए कोर्ट ने 26 साल पुराने रामप्रकाश हत्याकांड मामले में बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री जंग बहादुर सिंह समेत अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही जज पीके जयंत ने आरोपियों पर एक लाख का अर्थ दंड भी लगाया है। वहीं मृतक की पत्नी ने कहा कि भगवान ने आज हमारा फैसला कर दिया।

मालूम हो कि मामला अमेठी जिले के जामो थाना क्षेत्र के पूरब गौरा गांव का है। चुनावी रंजिश में 30 जून 1995 को प्रधान रामप्रकाश यादव की हत्या कर दी गई थी। मृतक के भाई राम उजागिर यादव ने हत्या करने के आरोप में तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख जंग बहादुर सिंह, बेटे दद्दन सिंह एवं उनके भांजे रमेश सिंह, समर बहादुर सिंह व हर्ष बहादुर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

केस एफटीसी प्रथम की कोर्ट में चल रहा था। इसमें करीब तीन वर्ष पूर्व कई पेशियों से साक्षी राम उजागिर की जिरह बचाव पक्ष के जरिये नहीं की जा रही थी। इसके बावजूद भी कोर्ट ने कई बार मौका दिया था और कई बार अर्थदंड भी लगाया।

कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

कोर्ट की इन कार्रवाई से बचने के लिए कई आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री के भांजे रमेश सिंह ने जिला जज की अदालत में एफटीसी प्रथम की कोर्ट पर संदेह व्यक्त करते हुए ट्रांसफर अर्जी देकर इस अदालत से मुकदमा हटाने की मांग की थी। फिलहाल ट्रांसफर अर्जी पर सुनवाई के दौरान वादी राम उजागिर यादव के अधिवक्ता रविवंश सिंह ने ट्रांसफर अर्जी पर विरोध जताते हुए पूर्व मंत्री पक्ष के जरिए कई पेशियों से जानबूझकर जिरह न करने, मुकदमें का विचारण जानबूझकर लटकाने, अभियोगी व उसके परिवार जनों को हत्या की धमकी देने समेत अन्य तर्क रखते हुए अर्जी को निराधार बताया।

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पक्षों को सुनने के बाद तत्कालीन जिला जज प्रमोद कुमार ने पूर्व मंत्री के भांजे रमेश सिंह की ट्रांसफर अर्जी को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया था। उधर हत्यारोपी दद्दन सिंह की कुछ वर्षों पूर्व हत्या हो चुकी है। वहीं पूर्व मंत्री समेत शेष आरोपियों के खिलाफ एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट में मामले के साक्ष्य सहित विचारण की अन्य कार्रवाई पिछली तिथि पर पूर्ण हुई। इसमे अभियोजन पक्ष के निजी अधिवक्ता रविवंश सिंह व शासकीय अधिवक्ता ने  अभियोजन पक्ष की पैरवी की। वहीं दोषी करार दिए जाने के बाद भाजपा नेता एवं पुर्व मंत्री जंग बहादुर सिंह ने कहा कि न्याय नहीं मिला। सारे निर्दोष लोगों को सजा मिली। इसमें से कोई दोषी नहीं हैं।

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