कोरोना आने के बाद जिस राज्य में सबसे ज्यादा केस आने की आशंका लोगों को थी, वह राज्य उत्तर प्रदेश था। लोग मानते थे कि उत्तर प्रदेश की आबादी ज्यादा है तो जाहिर है संक्रमण भी तेजी में फैलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कारण मुख्यमंत्री योगी का प्रबंधन और सख्ती है। 24 करोड़ की आबादी होने के बाद भी उत्तर प्रदेश कोविड के मामलों और इससे हुई मौतों के मामले में देश में 14वें स्थान पर हैं।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता 13 अप्रैल की उस शाम की बात करते हैं, जब मुख्यमंत्री योगी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर खुद के पॉजिटिव होने की खबर दी थी। तब लोगों को लगा कि शायद अब उत्तर प्रदेश की स्थिति और गंभीर हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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प्रवक्ता का कहना है कि पॉजिटिव होने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर एक दिन ठीक वैसे ही प्रदेश की निगरानी की जैसे वो आम दिनों में करते थे। अगर बदला था तो वो सिर्फ मीटिंग का तरीका। मीटिंग वर्जुअली होने लगी और मुख्यमंत्री योगी ने हमेशा की तरफ कोरोना के निपटने को लेकर दिशा-निर्देश देते रहे। उनके पॉजिटिव होने पर भी किसी भी तरह उनकी मीटिंगों के दौर में कोई कमी नहीं आई। वर्चुअली होकर भी वो ग्राउंड की असलियत को समझ रहे थे।
निगेटिव आते ही पहुंचे थे अवंतीबाई अस्पताल
उन्होंने कहा कि निगेटिव रिपोर्ट आते ही मुख्यमंत्री योगी खुद ग्राउंड जीरो पर उतर गए और प्रदेश के हालातों का जायजा लेना शुरु कर दिया। निगेटिव रिपोर्ट आने के पहले दिन ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के युवाओं को लगने वाली मुफ्त वैक्सीन कार्यक्रम का शुभारंभ अवंतीबाई अस्पताल से किया। इसके बाद वो डीआरडीओ, कैंसर अस्पताल और आज बरेली व मुरादाबाद के दौरे पर निकल गए। जहां उन्होंने अधिकारियों के साथ मीटिंग कर खुद जमीन पर जाकर हालातों को परखा।
योगी की रणनीति और मेहनत लाई रंग
सरकारी प्रवक्ता का दावा है कि जब देश के तमाम हिस्सों में जहां सरकार चला रहे अगुआ अपने कमरों से बाहर नहीं निकले, वहीं मुख्यमंत्री योगी पॉजिटिव रहते हुए भी लगातार वर्चुअल समीक्षा कर प्रदेश की जनता की सुरक्षा में जुटे रहे। सीएम की इसी मेहनत और रणनीति का परिणाम है कि प्रदेश में जहां संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई है, वहीं मौतों के आंकड़ों में भी कमी देखने को मिल रही है।
आज उत्तर प्रदेश कोविड से जुड़े मामलों और कोविड से होने वाली मौतों के मामले में देश में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। 24 करोड़ की आबादी होने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी के बेहतर प्रबंधन, सख़्ती और लगातार सक्रियता ने कोरोना के केस और इससे हुई मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश को देश में 14 वें स्थान पर ला दिया है।
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उन्होंने कहा कि यहां गौर करने वाली बात यह है कि महज पौने दो करोड़ की आबादी के राज्य दिल्ली में उत्तर प्रदेश से 15 गुना ज्यादा मौतें हो रही हैं, जबकि दिल्ली में बेहतर चिकित्सा संसाधन और उपकरण मौजूद हैं। आंकड़ों की बात करें तो एक अप्रैल से दिल्ली में प्रति मिलियन 29683 केस और 358 मौतें हुई हैं। वहीं एक अप्रैल से उत्तर प्रदेश में प्रति मिलियन 3502 केस और 25 मौतें हुई हैं।