हर साल कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत पड़ता है। अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत करवा चौथ के चार और दिवाली के आठ दिन पहले पड़ता है। इस व्रत का हिंदू धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व है। ये व्रत संतानवती महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थय और खुशहाल जीवन की कामना करते हुए रखती हैं। अहोई अष्टमी व्रत को अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन अहोई के साथ स्याही माता के पूजन का भी विधान धर्म शास्त्रों में है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत किस दिन है। साथ ही जानते हैं कि अहोई अष्टमी के व्रत में क्या-क्या खाया जाता है और इसका पारण कब किया जाता है।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) कब है ?
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगी। जबकि 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर ये तिथि खत्म हो जाएगी। ऐसे में इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) पूजा मुहूर्त
अहोई अषटमी के व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनच पर शुरू हो जाएगा। पूजा का ये शुभ मुहूर्त 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। कुल मिलाकर पूजा के लिए महिलाओं को 1 घंटे 15 मिनट का समय मिलेगा। इस दिन आसमान में तारे शाम 6 बजकर 17 मिनट पर दिखाई देंगे। वहीं चंद्र दर्शन रात के 11 बजकर 20 मिनट पर किया जा सकेगा।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के व्रत में खाई जाती हैं क्या चीजें ?
अहोई अष्टमी का व्रत भी करवा चौथ के समान कठोर माना जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और अन्न-जल ग्रहण नहीं करती हैं। शाम को व्रत का पारण करते समय सात्विक चीजें जैसे- सूखे मेवे, साबूदाना और फल का सेवन किया जा सकता है।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के व्रत का पारण कब?
अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं शाम को गोलाधि बेला तक अपनी संतान के लिए उपवास करती हैं। शाम को आसमान में तारों के दर्शन के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर इस व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद किए जाने की परंपरा है। आमतौर पर अहोई अष्टमी के दिन चांद थोड़ा देर से दिखाई देता है।