नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की हवा जहरीली (Delhi’s Air is Poisonous)हो गई है। आसमान में धुंध की चादर ऐसी पैर पसार रही है, जिससे पार पाना आसान नहीं। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पुराना रिकॉर्ड तोड़ने को बेताब नजर आ रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि इस बार ये सब दिवाली (Diwali) से पहले ही शुरू हो गया है। अब सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली धुआं-धुआं क्यों हो रही है? आशंका तो ये भी जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यह और बदतर होगी, इस बात की आशंका खुद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय जता चुके हैं।
हालांकि दिल्ली में जहरीली हो रही हवा को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार एक्टिव हो गई है, ग्रैप 2 नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय खुद इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि दिल्ली में चल रहे एंटी डस्ट पॉल्यूशन कैंपेन (Anti Dust Pollution Campaign) को और तेज किया जाएगा। फिलहाल दिल्ली की ओवर आल एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 306 मापा गया है। मौसम विभाग ऐसा होने के पीछे ठंड बढ़ने और हवा की गति धीमी होने का तर्क दे रहा है। माना ये जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसमें और बढ़ोतरी होगी।
जानें क्या हैं प्रदूषण (Pollution) के कारण?
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब होने मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली को माना जाता है। इसके अलावा बड़े और भारी वाहनों से होने वाले धुएं का उत्सर्जन, निर्माण कार्य और मौसम और पटाखे यहां की हवा को और जहरीली कर देते हैं, लेकिन फिलहाल दिल्ली की हवा की जो हालत है, उसके लिए पराली कतई जिम्मेदार नहीं है। मौसम विभाग की मानें तो ऐसा मौसम में बदलाव की वजह से हो रहा है, ठंड बढ़ी है और हवा की गति धीमी हुई है। मौसम में बदलाव आने की वजह से वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कण फंस जाते हैं, जिससे धुंध छा जाती है हवा जहरीली हो जाती है।
दिवाली से पहले बढ़ रहा खतरा
दिवाली पर दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो जाता है, इसका कारण पराली और दिवाली की आतिशबाजी को माना जाता है। वाहनों का प्रदूषण भी इसका बड़ा माध्यम बनता है, लेकिन इस बार दिल्ली की हवा दिवाली से पहले ही जहरीली होनी शुरू हो गई है। सरकार ने ग्रैप टू के नियमों को लागू तो कर दिया है। इसके तहत निर्माण कार्यों के अलावा अन्य गतिविधियों पर पाबंदियां लगाए जाने की तैयारी है। इसके अलावा रेड लाइट पर वाहन बंद रखने का कैंपेन शुरू किए जाने की योजना बनाई गई है। सरकार ने 26 अक्टूबर से रेड लाइन ऑन गाड़ी ऑफ अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इसके अलावा पटाखे चलाने पर लागू प्रतिबंध को मानने की अपील की गई है।
दिल्ली की हवा हुई ‘जहरीली’, सांस लेना हुआ दूभर
दिल्ली में प्रदूषण क हालात अभी और खराब होंगे, सेंटर फॉमर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के विश्लेषक सुनील दहिया ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में बताया कि पिछले पांच साल में राजधानी के आसपास पराली जलाने में कमी आई है। जनसंख्या वृद्धि, अनियोजित निर्माण और अकुशल खाना पकाने के स्टोव सहित अन्य स्रोत प्रदूषण का बड़ा कारक बन रहे हैं। दहिया के मुताबिक राजधानी के आसपास चल रहे बिजली संयंत्रों को प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसा न होने की वजह से हालात खराब होते हैं। यदि इन कारकों पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाला समय और घातक हो सकता है।
दिवाली पर हर साल बिगड़ते हैं हालात
दिल्ली में हर साल दीपावली पर प्रदूषण (Air Pollution) के हालात बिगड़ जाते हैं। पिछले साल भी ये दिवाली पर दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 312 का आंकड़ा पार गर या था। आई क्यू एयर के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में दीपावली पर दिल्ली का AQI 382 पर रहा था। 2016 में तो ये 431 पर पहुंच गया था. इनका कारण पराली और पटाखों को माना जाता है। दिल्ली में पटाखा चलाने पर प्रतिबंध है, लेकिन दीपावली के दिन यह प्रतिबंध भी हवा हो जाता है, जबकि इसके लिए सख्त नियम नहीं। दिल्ली में पटाखे चलाने पर छह माह तक की जेल और 200 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा पटाखों के प्रोडक्शन और बिक्री पर विस्फोटक अधिनियम के 5 हजार रुपये जुर्माना और तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
क्या होता है पीएम 2.5 जो बनाता है बीमारियों का शिकार?
दिल्ली की हवा जहरीली करने में पीएम 2.5 सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। पीएम को पार्टिकुलेट मैटर कहते हैं जो प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है। यह बेहद सूक्ष्म कण होते हैं जो हवा में घुल जाते हैं। साइंस के नजरिए से देखें तो 24 घंटे में हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए, लेकिन इससे ज्यादा होने पर ये खतरनाक हो जाती है। ये कण सांस के साथ हमारे शरीर में पहुंचते हैं और अस्थमा और सांस से संबंधित अन्य बीमारियों का शिकार बनाते हैं।