लखनऊ। यूपी बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग का समर्थन समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार निजीकरण की आड़ में रोजगार खत्म कर रही है।
यादव ने आज कहा कि 15 लाख विद्युतकर्मी हड़ताल पर चले गए है। विद्युत क्षेत्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही गड़बड़ी होनी शुरू हो गई है। साढ़े तीन वर्षों में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ।
विद्युत आपूर्ति गांव में लगभग 10 घंटा और शहरों में 15 घंटा से ज्यादा कभी नहीं मिल पाई, उपभोक्ताओं को लम्बे-लम्बे बिल पकड़ाकर परेशान किया जा रहा है। उन्होने कहा कि भाजपा सरकार शासन चलाने के बजाय देश के साधनों-संसाधनों का बाजार लगा रही है। निजीकरण से वह युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बेचने में लगी है। इसके दुष्प्रभावों के बारे में भाजपा नहीं सोच रही है। उसे शासन चलाने में अपनी असफलता मान लेनी चाहिए।
यूपीएसएसी ने सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा 2020 का प्रश्न पत्र किया जारी
उसकी अपनी आर्थिक कुनीतियों के चलते अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। स्थिति उसके नियंत्रण में नहीं रह गई है। इसलिए वह जल्दी से जल्दी सरकारी सेवाओं को निजी हाथों में सौंप कर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करते हुए बाहर निकलने का मौका चाहती है। यादव ने कहा कि भाजपा सरकार टोल, मण्डी, आईटीआई, पाॅलीटेक्नीक, सरकारी माल, हवाई अड्डा, रेल और बीमा कम्पनियों के निजीकरण की दिशा में कदम उठा रही हैं। रेलवे अस्पतालों को बेचने के लिए टेण्डर मांगे जा रहे हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद खाली पदों में 50 प्रतिशत पदों को समाप्त किए जाने का फैसला हो चुका है। सरकारी बैंकों की संख्या 12 से 5 करने की तैयारी है। सरकार बैंकों की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेचने की तैयारी कर रही है। बीमा कम्पनियों पर भी तिरछी नज़र है। एयरपोर्ट को पहले ही निजी हाथो में दिया जाना तय हो चुका है।
उन्होने कहा कि देश में रोजगार की स्थिति पिछले 15 सालों में सबसे खराब है। नौकरियां मिल नहीं रही हैं। 40 करोड़ रोजगार जाने की भविष्यवाणी राष्ट्र संघ का अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कर चुका है। कोरोना संकट में लाॅकडाउन के चलते लाखों श्रमिकों की जिंदगी में अंधेरा छा गया।