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अखिलेश यादव ने ‘हर घर तिरंगा’ का किया समर्थन, राजनीतिक गलियारों में बना चर्चा का विषय

akhilesh yadav

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लखनऊ। एक दिन पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव मिलते हैं और दूसरे दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) हर घर तिरंगा योजना में भाग लेने के लिए कार्यकर्ताओं से अपील कर देते हैं। राष्ट्रवाद की भावना का आदर करना अखिलेश यादव की यह सोच राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया। यह विषय तिरंगा को फहराने की अपील के कारण नहीं, भाजपा के किसी नीति का समर्थन करने के कारण बना। कुछ लोग इसे राम गोपाल यादव का योगी आदित्यनाथ ने मिलने का नतीजा बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे सपा की बदलती नीति को इसका कारण मान रहे हैं।

यह ध्यान देने की बात है कि कोरोना जैसी महामारी में भी अखिलेश यादव ने कोरोना का टीका लगवाने से भी विरोध किया था। उसका सिर्फ यह आधार बनाया था कि यह भाजपा का टीका है। पिछले एक दशक में कोई ऐसा अवसर देखने को नहीं मिला, जब भाजपा के किसी नीति का समाजवादी पार्टी ने विरोध न किया हो। यहां तक कि किसी भी सड़क या किसी योजना का लोकार्पण करने से पहले अखिलेश यादव उसे अपने कार्यकाल की योजना बताना नहीं भुलते।

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भाजपा ने यह कहना भी शुरू कर दिया कि अखिलेश यादव को सपने में भी भाजपा याद आती है, लेकिन इस बीच अचानक अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) द्वारा मंगलवार की शाम को कार्यकर्ताओं से जोर-शोर से अपने-अपने घर पर तिरंगा लगाने की अपील चर्चा का विषय बन गया। इस संबंध में सपा को गहराई से समझने वाले अजीत सिंह का कहना है कि यह समाजवादी पार्टी के बदलती सोच का परिणाम है। अब पार्टी में बदलाव हो रहा है। अखिलेश यादव हर कदम को फूंक-फूंक कर आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसका आने वाले समय में समाजवादी पार्टी को फायदा भी मिल सकता है। अभी तक यह भावना बन गयी थी कि भाजपा के किसी कार्य का विरोध करना ही सपा का काम है लेकिन अब ऐसा कहने वालों की संख्या में कमी आएगी। यह स्वच्छ राजनीति का भी परिचायक है।

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वहीं राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी की पृष्ठभूमि व विचारधारा लगभग एक है। ये दोनों लोग कब क्या फैसला लेंगे, यह कहना मुश्किल है। यही कारण है कि दोनों लोग अपने घरेलु राजनीतिक धरोहर को संभालने में नाकामयाब हैं। हालांकि हर घर तिरंगा में शामिल होकर अखिलेश यादव ने अच्छी राजनीति का परिचय दिया है लेकिन अब तक की सपा की राजनीति को देखकर आश्चर्यजनक लगता है।

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