अक्षय नवमी (Akshaya Navami) इस वर्ष 10 नवंबर को मनाई जाएगी। यह दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें आंवले के वृक्ष का पूजन, स्नान, व्रत और दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी (Akshaya Navami) से द्वापर युग का आरंभ माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
पद्म पुराण के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने कुशमांड नामक दैत्य का वध कर धरती पर धर्म की स्थापना की थी और इसी दिन श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पूर्व वृंदावन की परिक्रमा की थी।
अक्षय नवमी (Akshaya Navami) के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद आंवले के वृक्ष के पास जाकर सफाई करें और हल्दी, चावल, कुमकुम या सिंदूर सेवृक्ष की पूजा करें। सायंकाल में घी का दीपक जलाकर आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करें। इसके बाद खीर, पूरी और मिष्ठान का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और वृक्ष के नीचे भोजन करना विशेष पुण्यदायक माना गया है।
अक्षय नवमी vके दिन पितरों के निमित्त अन्न, वस्त्र, और कंबल का दान करना चाहिए। यह भी मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत गुना मिलता है। आंवले के वृक्ष के पास पितरों का तर्पण भी किया जाता है।
आंवला ग्रहण करना भी शुभ
यूं तो आंवला भगवान विष्णु को काफी प्रिय है। संस्कृत में धात्तिफल कहलाने वाले आंवला वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। अगर आंवले का उपयोग हरे- बहेड़ा के साथ किया जाय तो समस्त उदर रोग से निजात मिलती है।