बीजिंग। चीन के सबसे चर्चित और कभी बेहद प्रभावशाली उद्यमी जैक मा (Jack Ma) आखिरकार पांच साल बाद सार्वजनिक रूप से नजर आए हैं। अलीबाबा के संस्थापक जैक मा, जो एक समय दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में गिने जाते थे, 2020 के बाद से अचानक गायब हो गए थे। उनके गायब होने की वजह बनी थी चीन के वित्तीय सिस्टम पर उनकी खुली आलोचना, जिसने बीजिंग सरकार को नाराज कर दिया।
इसके बाद सरकार ने उनकी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की, और जैक मा (Jack Ma) ने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया। लेकिन अब, उनकी वापसी कई नए संकेत दे रही है। सवाल उठता है कि क्या यह चीन की सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सुलह का संकेत है, या कोई नई रणनीति?
शी जिनपिंग के साथ दिखे!
दरअसल बीते हफ्ते, बीजिंग में चीन के शीर्ष उद्योगपतियों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ हुई एक बैठक में जैक मा (Jack Ma) पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए। इस बैठक में राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद थे। तस्वीरों में जैक मा को पहली पंक्ति में बैठा देखा गया, हालांकि उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत है कि चीनी सरकार अब निजी क्षेत्र के बड़े उद्यमियों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रही है। सोशल मीडिया पर जैक मा की वापसी को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
शी जिनपिंग ने इस बैठक में कहा कि निजी क्षेत्र को अब खुलकर आगे आना चाहिए और चीन की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में योगदान देना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती का शिकार है, बेरोजगारी बढ़ रही है और निवेशकों का विश्वास कमजोर पड़ रहा है।
चीन की अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का योगदान 50% से अधिक है, और यह शहरी रोजगार व कर राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। जैक मा की वापसी इस बात का संकेत देती है कि चीन सरकार अब तकनीकी कंपनियों और निजी क्षेत्र के बड़े उद्यमियों को फिर से प्रोत्साहित करना चाहती है। इस खबर के बाद अलीबाबा के शेयरों में उछाल देखी गई, जो बाजार की सकारात्मक प्रतिक्रिया को दर्शाता है।
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हालांकि जैक मा की वापसी को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वह अब पहले की तरह स्वतंत्र नहीं होंगे। चीनी मीडिया ने उनकी मौजूदगी को ज्यादा कवरेज नहीं दी, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार अब भी उन्हें पूरी तरह खुला मंच देने के मूड में नहीं है।
इसका मतलब यह है कि चीन की तकनीकी कंपनियों को विकास की इजाजत तो मिलेगी, लेकिन उन्हें सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप ही काम करना होगा। जैक मा की यह वापसी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि चीन की आर्थिक नीतियों में हो रहे बदलाव की भी कहानी है। क्या यह निजी क्षेत्र और सरकार के बीच नई साझेदारी की शुरुआत होगी या फिर किसी बड़े बदलाव का संकेत? यह देखने वाली बात होगी।