प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को लाल किले की प्राचीर से देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोलने की घोषणा की। वर्तमान में देश में 33 सैनिक स्कूल चल रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर अपने संबोधन में देशवासियों को बताया कि उन्हें लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वह भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं। उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं। उन्होंने कहा कि दो-ढाई साल पहले मिजोरम में इस दिशा में प्रयास हुआ था। मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अब देश के सभी सैनिक स्कूलों को लड़कियों के लिए खोल दिया जाएगा। अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा हो या खेल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हर क्षेत्र में उनकी समान भागीदारी हो। सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। उन्होंने इसके लिए शासन-प्रशासन, पुलिस व न्याय व्यवस्था व नागरिकों को शत-प्रतिशत जिम्मेदारी निभाने की अपील की।
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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें खेल को ‘एक्स्ट्रा करिकुलर’ के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। खेलकूद की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले मां-बाप बच्चों से कहते थे कि खेलते रहोगे तो जीवन बर्बाद कर लोगे, लेकिन अब यह सोच बदल रही है। इस बात का अनुभव इस बार के ओलंपिक में भी हमने किया है। उन्होंने खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ा कर उसे तकनीक से जोड़ने पर बल दिया।
उल्लेखनीय है कि सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा सैनिक स्कूल चलाए जाते हैं जो रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। सैनिक स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से ही भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिए तैयार करना है।