इलाहाबाद। कोरोना संदिग्धों को अपनी पसंद के स्थान या घर में क्वारंटाइन की छूट न देकर जबरन क्वारंटाइन सेंटर में ले जाने को इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मामले में विचाराधीन जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है।
एक ही IEMI नंबर पर चल रहे तकरीबन 13357 मोबाइल फोन होंगे बंद
चीफ जस्टिस ने कहा है कि आयुष मंत्रालय ने होम क्वारंटाइन में रहने या अपनी पसंद के स्थान पर स्वयं क्वारंटाइन में रहने के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद कोरोना संदिग्ध को जबरन सेंटर ले जाया जा रहा है। चीफ जस्टिस के आदेश पर 20 जुलाई से पहले ही 17 जुलाई को जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार के खंडपीठ ने सुनवाई की।
संस्थागत आइसोलेशन का स्कोप बढ़ाने के कदम उठाएगी सरकार
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को जानकारी दी कि अपने घर या मर्जी से स्वयं क्वारंटाइन होने के बारे में यूपी सरकार कदम उठाने जा रही है। संस्थागत आइसोलेशन का स्कोप बढ़ाने के कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए पुलिस पेट्रोलिंग और स्पीकर से अनाउंसमेंट करा रही है। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग की महत्ता की जानकारी दी जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग न बनाने व मास्क न पहनने वालों पर अर्थदंड लगा कर सख्त संदेश दिया जा रहा है।
मेडिकल स्टाफ की पूरी जानकारी मांगी हाई कोर्ट ने
आईजी पुलिस ने कोर्ट को बताया कि नियमित पेट्रोलिंग कर कोरोना गाइडलाइन का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। उन्होंने नगर निगम को निर्देश देने की मांग की कि दुकानों में और बाहर भीड़ न लगने पाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि अदालत 13 जुलाई को ऐसा आदेश जारी कर चुकी है। कोर्ट ने नगर आयुक्त से इस आदेश के अनुपालन के साथ हलफनामा भी मांगा है।
वहीं सीएमओ प्रयागराज की और से पेश हुए डॉ. मंगेश कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट को स्वास्थ्य विभाग से संबंधित जानकारी दी है। हाई कोर्ट ने डाक्टरों व पैरा मेडिकल स्टाफ की पूरी जानकारी मांगी है। याचिका पर अब सुनवाई 24 जुलाई को होगी।