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किंगमेकर की भूमिका के लिए मशहूर अमर सिंह का थम गया जीवन का सफर

लखनऊ। बालीवुड की ग्लैमरस दुनिया से लेकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे तक अपनी अहमियत का अहसास कराने वाले राज्यसभा सांसद अमर सिंह के जीवन का सफर आज थम गया लेकिन राजनीति के क्षेत्र में उन्हे लंबे समय तक बेबाक बयानबाजी और किंगमेकर की भूमिका के तौर पर याद किया जायेगा।

27 जनवरी 1956 को आजमगढ़ जिले में जन्मे अमर सिंह की 64 साल की उम्र में शनिवार को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी। समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह के बेहद करीबी समझे जाने वाले अमर सिंह ने हाल ही में किडनी प्रत्यारोपण करवाया था और वह पिछले छह महीने से अस्पताल में भर्ती थे।

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मुबंई के उद्योगपति अमर सिंह का राजनीति का सफर 90 के दशक में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आने के बाद सही रूप से शुरू हुआ। वाकपटुता और प्रबंधन के धनी अमर सिंह से मुलायम इस कदर प्रभावित हुये कि जल्द ही उन्हे राजनीति क्षेत्र में कदम रखने के बाद सपा के महासचिव पद से नवाजा गया। सपा को कई बार मुश्किलों से बाहर निकालने वाले अमर की मुलायम के अनुज शिवपाल सिंह यादव से खासी बनती थी लेकिन सपा के एक अन्य महासचिव और मुलायम के करीबी आजम खान से वह दूरी बनाये रहे।

बालीवुड के शंहशाह अमिताभ बच्चन के कठिन वक्त में मदद करने वाले अमर सिंह एक समय बच्चन परिवार के बेहद करीब थे। यहां तक कि फिल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी और जयाप्रदा को सपा में लाने का श्रेय भी अमर को जाता है। वर्ष 2010 मे सपा से रिश्ते में कड़वाहट के बाद उन्होने छह जनवरी 2010 को सपा से इस्तीफा दे दिया था जिसके करीब एक महीने बाद उन्हे निष्कासित कर दिया गया।

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सपा से निष्कासन से तिलमिलाये अमर के कहने पर जयाप्रदा ने तो सपा से किनारा कर लिया लेकिन जया भादुड़ी ने उनका कहना नहीं माना। इसके बाद अमर सिंह की बच्चन परिवार से खट्टास इस कदर बढ़ गयी कि उन्होने देश के प्रतिष्ठित परिवार पर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया। हालांकि अमिताभ ने उनके वक्तव्य पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की।

इसी साल हालांकि अमिताभ ने अमर के पिता की पुण्य तिथि पर जब श्रद्धाजंलि अर्पित की तो अमर ने भी अपने विवादास्पद बयानो के लिये खेद जताते हुये उनके माफी मांगी और अस्पताल से ट्वीट किया “ आज मेरे पिताजी की पुण्यतिथि और मुझे अमिताभ बच्चन जी का मेसेज मिला। जीवन के ऐसे मोड़ पर, जब मैं जिंदगी और मौत से जूझ रहा हूं, मैं अमित जी और बच्चन परिवार को लेकर कहे गए अपने शब्दों के लिए माफी मांगता हूं। ईश्वर उन सब पर अपनी कृपा बनाए रखे।”

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भ्रष्टाचार के मामले में 2011 में कुछ समय न्यायिक हिरासत में रहने का दंश झेलने वाले अमर ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की लेकिन 2016 में मुलायम के दखल के बाद उनकी एक बार फिर सपा में वापसी हुयी और उन्हे पार्टी के टिकट पर राज्य सभा भेजा गया।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बारे में भी अमर के विचार कुछ अच्छे नहीं रहे और कई मौकों पर उन्होने अखिलेश को कभी औरगंजेब तो कभी चाणक्य की भूमिका से नवाजा। अखिलेश की आजम से निकटता भी अमर को कभी नहीं अच्छी लगी और इसका उन्होने खुलकर इजहार भी किया।

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विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सपा की हार की ठीकरा सपा अध्यक्ष पर फोड़ते हुये उन्होने कहा था “ जिस तरह से कालिदास जिस पेड़ पर बैठे थे, उसी पेड़ की शाखाएं उन्होंने काट डालीं। उसी तरह से अखिलेश यादव ने भी एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव, अपने चाचा शिवपाल और मुझे पार्टी से बाहर कर दिया। इससे पार्टी की विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार हुई।”

सपा सांसद होने के बावजूद श्री सिंह पिछले कुछ समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेतृत्व की तारीफ करते नहीं थकते थे। पिछले दिनो उन्होने योगी की तारीफ करते हुए कहा, “ उनके प्रशासन में कुछ अधिकारी गड़बड़ हो सकते हैं, लेकिन योगी जी फक्कड़ और संत व्यक्ति हैं। उन्हें सत्ता की लोलुपता और सत्ता की लालसा नहीं है। जब मैं योगी का प्रबल राजनीतिक विरोधी था, उस समय भी योगी ही क्षत्रियों का नेतृत्व करते थे।”

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