करनाल। सिख लाइट इन्फैंटरी रोजीमैंट सेना फतेहगढ़ उत्तरप्रदेश से सात अक्तूबर 1989 को सैनिक ईलम सिंह को भेजा गया पत्र ईलम सिहं के कासिम पुर पोस्ट आफिस किसानपुर बराल जिला मेरठ तक पहुंचने में 31 साल लग गए।
यह पत्र इलम सिंह के घर 26 जुलाई 2020 को मिला। उनके परिजन इस पत्र को मिलने के बाद काफी हैंरानी में हैं। क्यों इतने साल तक किसी तरह पोस्ट आफिस ने इस पत्र को संभाल कर रखा। इलम सिंह के भतीजे तथा लिबर्टी में पीआरओ वी पी सिंह ने बताया कि उनके चाचाजी इलम सिंह सिख लाइट इन्फैंटरी सेनी फतेहगढ़ में कार्यरत थे।
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उनके पास फतेहगढ़ से रेजीमैंट की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर 11 से 14 फरवरी 1990 तक होने वाले पुर्नमिलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ब्रिगेडियर केएम तिवारी ने सात अक्तूबर 1989 को भेजा था।इस पत्र के साथ जबाबी पत्र भी लगाया गया था। लेकिन इस पत्र को भेजने के बाद दूसरी बार ना तो इलम सिंह के पास रिमांडर आया। ना ही उन्हें मालूम पड़ा।
पिछले दिनों 26 जुलाई को जब गा्रव में उनके घर पर पोस्ट आफिस से उनके घर इस पत्र को लेकर डाकियां आया तो उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ कि 31 साल बाद उनके घर पर पत्र आया है। वह भी 31 साल पहले भेजा गया था। कार्यक्रम भी हो गया। और अब रैजीमैंट 81 वीं साल गिरह मना रहा हैं। गोल्डन जुबली कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जो न्यज्ञैता भेजा था वह 80वीं सालगिरह के बाद मिला।
बीवी सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इतने साल तक डाक विभाग ने इस पत्र को संभालकर अपने पास किस तरह रखा। इतने साल तक सुरक्षित रखना भी एक तरह का अजूबा हैं। गांव के आसपास तथ उनके रिश्तेदारों में यह चर्चा का विषय