आंवला नवमी (Amla Navami) का पर्व कार्तिक मास की नवमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने और इसके नीचे भोजन करने से भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
आंवला नवमी (Amla Navami) का महत्व
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी से लेकर पूर्णिमा तक जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु अवल के वृक्ष पर निवास करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को परम पुण्य दायक अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी से ही द्वापर युग की शुरुआत हुई। इस तिथि को युगादि तिथि भी कहा जाता है। इसी दिन श्री हरि विष्णु ने कुष्मांडक दैत्य को मारा था।
अक्षय नवमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी कंस को मारने से पूर्व जनता के मन में कंस के विरुद्ध क्रांति के निमित्त तीन वनों की परिक्रमा की थी। इसी परम्परा के निर्वहन के फलस्वरूप लोग आज भी अक्षय नवमी के अवसर पर असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मथुरा वृन्दावन की परिक्रमा करते है।मथुरा वृन्दावन एवं कार्तिक मास साक्षात् राधा-दामोदर स्वरुप है।
कब है अक्षय नवमी
नवमी तिथि का आरंभ 9 नवंबर 2024 दिन शनिवार की सायं 6:31 बजे से आरंभ होगा। जो 10 नवंबर 2024 दिन रविवार को दिन में 4:44 बजे तक व्याप्त रहेगी। ऐसी स्थिति में अक्षय नवमी का पवित्र पर्व 10 नवंबर 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष नवमी तिथि में हीअयोध्या मथुरा की परिक्रमा 9 नवंबर शनिवार की रात (सायं) 6 बजकर 31 मिनट से आरंभ होकर अक्षय नवमी पर्यंत 10 नवंबर दिन रविवार को दिन में 4 बजकर 44 मिंट तक निरंतर चलता रहेगा। इस प्रकार अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर दिन रविवार को मनाया जाएगा।
अक्षय नवमी पूजा के लाभ
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी अर्थात अक्षय नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक श्री हरि विष्णु आंवले के वृक्ष पर निवास करते है। इसी कारण अक्षय नवमी को आंवला पूजन सम्पूर्ण स्त्री जाति के लिए धन संपत्ति, सौभाग्य वृद्धि तथा सन्तान सुख प्राप्ति कारक माना जाता है, ऐसी भी मान्यता है कि इस अक्षय नवमी को पति-पत्नी साथ में भगवान श्रीहरि विष्णु की उपासना करते है तो उन्हें परम शांति, सौभाग्य ,सुख एवं उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति भी मिलाती है। इस दिन पति-पत्नी को उत्तम फल की प्राप्ति हेतु संयुक्त रूप से पांच आंवले के वृक्ष के साथ-साथ पांच अन्य फलदार वृक्ष भी लगाना चाहिए।