अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन ही गणपति विसर्जन किया जाता है। गणपति उत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू होता है, जो कि अनंत चतुर्दशी तक चलता है। पूरे 10 दिनों तक भक्तगण बप्पा की भक्ति के रंग में डूबे रहते हैं। इसके बाद 11वें दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को प्रतिमा को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। विसर्जन के पहले गणेश भगवान की पूजा व आरती की जाती है। साथ ही फल-फूल प्रसाद, नारियल आदि चढ़ाये जाते हैं। इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ धूमधाम के साथ बप्पा की विदाई की जाती है। बता दें कि अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) 2024 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 पर होगा। चतुर्दशी तिथि समाप्त 17 अगस्त को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन गणेश जी का विसर्जन भी किया जाएगा।
गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)- 17 सितंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से दोपहर 1 बजकर 47 मिनट
अपराह्न मुहूर्त (शुभ)- 17 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से शाम 4 बजकर 51 मिनट तक
सायाह्न मुहूर्त (लाभ)- 17 सितंबर को शाम 7 बजकर 51 मिनट से रात 9 बजकर 19 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- 17 सितंबर को रात 10 बजकर 47 मिनट से मध्यारात्रि (18 सितंबर) 3 बजकर 12 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) 2024
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन भक्त उपवास रखकर श्री हरि की विधिपूर्वक आराधना करते हैं। भगवान विष्णु के 12 नाम हैं, जिनमें से एक अनंत है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय हाथ में धागा बांधा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि यह धागा भक्तों की हर संकट में रक्षा करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का व्रत रखने वाले जातकों पर लक्ष्मी-नारायण की अपार कृपा रहती है। घर का भंडार सदैव धन-धान्य से भरा रहता है।