अनिल अंबानी ((Anil Ambani) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। अभी 2 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। अब ED ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों की 1,400 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को नई प्रोविजनल अटैचमेंट के तहत ज़ब्त कर लिया है। इस कार्रवाई के साथ ED की ओर से अब तक की कुल अटैचमेंट राशि 9,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है।
इससे पहले मगंलवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम), ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और अनिल अंबानी (Anil Ambani) से जुड़े बैंकिंग फ्रॉड की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और कारोबारी अनिल अंबानी से जवाब मांगा था।
इस याचिका को भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा ने दायर की था इस याचिका कहा गया है कि इसमें धन के व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग, खातों में हेराफेरी और संस्थागत मिलीभगत की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र सरकार, सीबीआई, ईडी और अंबानी को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट और ईडी की कार्रवाई का असर अनिल अंबानी की कंपनी के शेयरों पर भी दिख रहा है। बीते 5 दिन में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर में 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह 40 रुपए के करीब आ गया है। वही रिलायंस इंफ्रा की बात करे तो 5 दिन में इसमें 3.7 फीसदी की गिरावट है और यह करीब 175 रुपए पर आ चुका है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि अनिल अंबानी (Anil Ambani) की रिलायंस कम्युनिकेशन और उसकी सहायक कंपनियां रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल ने कथित तौर पर 2013 और 2017 के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के एक कंसोर्टियम से 31,580 करोड़ रुपए का लोन प्राप्त किया। एसबीआई द्वारा कराए गए एक फोरेंसिक ऑडिट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का खुलासा हुआ है। ऑडिट में कथित तौर पर बंद घोषित किए गए बैंक खातों से लेनदेन को भी चिह्नित किया गया है, जिससे वित्तीय विवरणों में हेराफेरी की आशंका बढ़ गई है।









