नई दिल्ली| विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय बाजार में एक बार फिर सोयाबीन डीगम पर आयात शुल्क कम किये जाने की चर्चा जोर पकड़ने से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेलों पर दबाव कायम रहा तथा कच्चे पाम तेल (सीपीओ) को छोड़कर बाकी सभी तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर ही बंद हुए। बाजार सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में आज दूसरी बार सोयाबीन डीगम पर आयात शुल्क कम होने की अफवाह बाजार में जोरों पर रही।
वायदा बाजार में सोयाबीन का वायदा भाव तोड़कर इस अफवाह को हवा दी गई। फरवरी के लिये वायदा भाव 104.40 रुपये किलो बोला जा रहा है जबकि आयातकों को यह मुनाफा लगाकर 113.40 रुपये किलो पड़ता है। इससे विदेशों को यह संकेत देने का प्रयास है कि सरकार सोयाबीन डीगम के आयात पर शुल्क कम करने जा रही है। गौरतलब है कि यह अफवाह ऐसे समय उड़ायी गई है जब किसान मंडियों में सोयाबीन फसल लाने में जुटे हैं। ऐसे में भाव कम होने की अफवाह से आम किसानों और तेल उद्योग को भारी नुकसान होगा।
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सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन डीगम का जो भाव शिकागो एक्सचेंज में नीचे चल रहा था, अफवाह फैलने के बाद वायदा कारोबार में इस तेल के दिसंबर अनुबंध का भाव करीब 1.5 प्रतिशत से अधिक मजबूत बंद हुआ। सत्रों ने बताया कि भारत में पाम आयल पर आयात शुल्क (अधिभार समेत) 41.25 प्रतिशत से घटा कर 30.25 करने का देश में सरकार और उपभोक्ताओं को कोई फायदा नहीं हुआ। उल्टे कच्चे पाम तेल का भाव तीन प्रतिशत बढ़ गया और सरकार को करीब पांच हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इंडोनेशिया में भाव बढने से भारत का आयात खर्च पांच हजार करोड़ रुपये बढ़ गया।