सोनभद्र में अपना दल (एस) के सिर जिला पंचायत अध्यक्ष का ताज सजा है। एनडीए गठबंधन प्रत्याशी राधिका पटेल को जीत मिली है। राधिका ने सपा के जयप्रकाश पांडेय को सात मतों से मात देकर जिला पंचायत अध्यक्ष का ताज अपने नाम किया है। गहमागहमी और तनाव के बीच जिला पंचायत सदस्यों ने शुक्रवार को अपना अध्यक्ष चुन लिया। 31 में 19 मत पाकर अपना दल (एस) प्रत्याशी राधिका पटेल अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। सपा के जयप्रकाश पांडेय उर्फ चेखुर को महज 12 वोट से संतोष करना पड़ा। मतदान को लेकर सुबह से ही तनातनी बनी रही। कांटे की टक्कर होने के चलते पलड़ा किसका भारी है? इसको लेकर अंतिम समय तक कन्फ्यूजन की स्थिति बनी रही। शाम 3ः30 बजे जैसे ही परिणाम घोषित हुआ, स्थिति स्पष्ट हो गई। 19 मत पाकर राधिका पटेल निर्वाचित हुईं। सपा प्रत्याशी जयप्रकाश पांडेय ने पुलिस प्रशासन पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। कहा कि पुलिस के अधिकारियों ने सत्ता पक्ष के एजेंट के रूप में काम किया और उनके समर्थक सदस्यों को डरा-धमका कर अपना दल एस प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए मजबूर किया।
सपा जिलाध्यक्ष विजय यादव ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सदस्यों को डरा-धमकाकर चुनाव प्रभावित किया। बाहुबलियों को पूरी छूट दी गई। सपा इसका शुरू से विरोध करती रही है और आगे भी करती रहेगी। कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता इसका जवाब देकर रहेगी। उधर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह का कहना था कि निष्पक्ष तरीके से मतदान कराया गया। मतदान की शुचिता किसी भी रूप में प्रभावित ना होने पाए, इसका पूरा ख्याल रखा गया। प्रशासन की तरफ से कहीं किसी पर भी कोई दबाव नहीं डाला गया। जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वह गलत हैं।
सत्ता बल और बाहुबल ने कर दी जीत की राह आसान-प्रत्याशी चयन के समय हुई खींचतान, पदाधिकारियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई के बावजूद सत्ता से मिले सहयोग और पूर्व एमएलसी विनीत सिंह के बाहुबल के मिले साथ ने एनडीए गठबंधन की जीत की राह आखिरी समय में आसान कर दी। अपहृत बताए गए सदस्यों को कलेक्ट्रेट पहुंचते समय परिवारीजनों से कराई गई मुलाकात को जीत का टर्निंग प्वाइंट बताया जा रहा है। बता दें कि 31 सदस्यों वाले जिला पंचायत सदन में भाजपा़अपना दल एस गठबंधन के पास 10, सपा के पास 11 सदस्य थे। बृहस्पतिवार को निर्दल निर्वाचित राजपुर जिला पंचायत सदस्य जीरा देवी के अपना दल ज्वाइन करने के बाद गठबंधन के सदस्यों की संख्या 11 हो गई। इसके बाद 16 के जादुई आंकड़े के लिए रस्साकस्सी जारी रही। शुक्रवार को बराबर-बराबर सदस्य संख्या के मुकाबले में आखिरी बाजी एनडीए गठबंधन के हाथ लगी।
सपा नहीं तोड़ पाई सत्ता पक्ष के जीत का मिथक-बेहतर समीकरण के बावजूद सपा यहां के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सत्ता पक्ष के जीत का मिथक नहीं तोड़ पाई। सोनभद्र के रूप में अलग जनपद सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सांसद रामप्यारे पनिका की पत्नी बसंती पनिका कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 1995 में यहां की पहली निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। उस समय राज्य में बसपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। 2000 में भाजपा की सरकार आई तो भाजपा के देवेंद्र प्रसाद शास्त्री जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
2006 में सपा की सरकार रहने के दौरान उसके दल के शिव शंकर घसिया ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर विजय हासिल की। 2011 में बसपा की सरकार रहने के दौरान उसी दल के दिलीप सिंह मौर्य जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2012 में सपा की सरकार आने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाकर दिलीप को हटा दिया गया। इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में सपा की अनीता राकेश जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। कार्यकाल पूरा होने के बाद 2016 में चुनाव हुआ। सपा के अनिल यादव को सत्ता पक्ष का लाभ मिला और वह आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए लेकिन 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव के चलते उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा के अमरेश पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए और उन्होंने 2021 तक का कार्यकाल पूरा किया।