Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

अर्जुन ने किया श्रीराम का अपमान, तो हनुमान जी ने किया ऐसा

hanuman ji

hanuman ji

धर्म डेस्क। पौराणिक मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान अजर-अमर हैं। वे लंका युद्ध के समय अपने प्रभु श्रीराम की सेवा के लिए त्रेतायुग में उपस्थि​त थे। श्रीराम ने जब जल समाधि ली, तो हनुमान जी को यहीं पृथ्वी पर रुकने का आदेश दिया। तब से माना जाता है कि हनुमान जी पृथ्वी पर ही वास करते हैं।

द्वापर युग में जब उनको पता चला था ​कि उनके ही प्रभु श्री कृष्ण अवतार में पृथ्वी पर दोबारा अवतरित हुए हैं, तो वे अत्यंत प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा के अनुरुप बजरंगबली अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान रहे। इससे जुड़ा एक प्रसंग आनंद रामायण में मिलता है, जिसमें हनुमान जी अर्जुन के घमंड को तोड़ते हैं।

एक बार रामेश्वरम में अर्जुन की मुलाकात हनुमान जी से होती है। दोनों लोगों में लंका युद्ध को लेकर चर्चा होने लगी। अर्जुन को उस समय स्वयं पर संसार का सबसे बड़ा धनुर्धर होने का अभिमान था। बातचीत में उन्होंने हनुमान जी से कहा कि आपके प्रभु राम तो बड़े वीर योद्धा और धनुर्धर थे, तो उन्होंने लंका जाने के लिए बाणों से ही सेतु निर्माण क्यों नहीं कर दिया। इस पर हनुमान जी ने कहा कि बाणों का पुल वानर सेना के भार को सहन नहीं कर पाता। तब अर्जुन ने घमंड से कहा कि वे तो बाणों की ऐसा पुल बना देते, जो टूटमा ही नहीं।

अर्जुन ने हनुमान जी से कहा कि सामने तालाब में वह बाणों का पुल तैयार करके दिखाते हैं, वह आपका भार सहन कर लेगा। उस समय हनुमान जी अपने सामान्य रुप में थे। अभिमान से चूर अर्जुन ने अपने बाणों से तालाब पर एक सेतु बना दिया और हनुमान जी को चुनौती दी। अर्जुन के बनाए सेतु को देखकर हनुमान जी ने कहा कि यदि यह सेतु उनका वजन सहन कर लेगा, तो वे अग्नि में प्रवेश कर जाएंगे और यह टूट जाता है तो तुमको अग्नि में प्रवेश करना होगा। अर्जुन ने शर्त स्वीकार कर ली।

Exit mobile version