यूपी एसटीएफ ने सचिवालय व अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना व उसके साथी को राजधानी के इन्दिरानगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपियों में देवेश कुमार मिश्र निवासी ग्राम दुर्गागंज, थाना बिलग्राम, हरदोई और विनीत कुमार मिश्र निवासी मुनफ्फरपुर, थाना पसगवां, खीरी हैं। इनके पास से फर्जी नियुक्ति पत्र, आदेश पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र (अभ्यर्थी), फोटोग्राफ (अभ्यर्थी), 2 रजिस्टर, 2 मोबाईल फोन, 4 एटीएम कार्ड, 2 पैन कार्ड, 2 वोटर कार्ड, 2 ड्राइविंग लाइसेन्स, आधार कार्ड, 3 सिम कार्ड, कार नंबर यूपी 32 केडी 745 व नगदी बरामद हुई है। इन आरोपियों की गिरफ्तारी अरविन्दो पार्क, थाना क्षेत्र इन्दिरानगर से की गयी।
टीआरपी घोटाले में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के सीईओ समेत अन्य से की पूछताछ
दरअसल, एसटीएफ को विगत कुछ दिनों से सूचना प्राप्त हो रही थी कि कुछ गिरोहों द्वारा ोरोजगार युवकों से सचिवालय व अन्य सरकारी विभागों में नौकरी के दिलाने के नाम पर ठगी की जा रही है। इस समन्ध में एसटीएफ की टीम सुरागरसी में लगायी गयी थी।
अभिसूचना संकलन के क्रम में पता चला कि सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का सरगना देवश कुमार मिश्र अपने गिरोह के कुछ सदस्यों के साथ अरविन्दो पार्क थाना क्षेत्र इन्दिरानगर के पास किसी से मिलने आने वाला है। इस सूचना पर पुलिस टीम ने घेराबंदी कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
कड़ी सुरक्षा में लखनऊ आएगा हाथरस पीड़िता का परिवार, हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि उसका एक गिरोह है जो बेरोजगार नवजवानों को ढूंढते हैं और उन्हें सचिवालय व अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का लालच देकर उनसे पैसा लेते है तथा उनको हम लोगों द्वारा फर्जी तरीके से तैयार किया हुआ सचिवालय का लोगों लगा क्लर्क एवं चपरासी के पद का फर्जी नियुक्ति पत्र पर मुख्य सचिव, उप्र का फर्जी हस्ताक्षर करने उनको नियुक्ति पत्र दे दिया जाता था।
अभ्यर्थियों से हम लोग सचिवालय के बाहर मिलते थे जिससे उनको विश्वास हो जाता था। प्रति अभ्यर्थी क्लर्क के पद के लिए 4 से 5 लाख रुपए व चपरासी पद के लिए 2 से 3 लाख रुपए तक लेते थे। अभ्यर्थियों से मिले पैसों को हम लोग सबके काम के हिसाब से आपस में बांट देते थे।