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सीएम के तौर पर केजरीवाल नहीं करेंगे कामकाज; SC ने जमानत पर लगा दीं इतनी शर्तें

Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के लिए आज का दिन खास रहा। देश की सबसे बड़ी अदालत से उन्हें राहत मिली। ईडी (ED) की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया। साथ ही तब तक के लिए दिल्ली के सीएम को राहत देते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।

हालांकि, देश की सबसे बड़ी अदालत ने केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की रिहाई पर कई शर्तें भी रख दी हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा है कि बेल अवधि के दौरान वह सीएम के तौर पर कामकाज नहीं कर सकते हैं।

सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को 50 हजार रुपए का बेल बाउंड भरना होगा और इतनी ही राशि की श्योरिटी देन होगी। सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर केजरीवाल के मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज करने पर रोक लगा दी है। इसका मतलब है कि यदि सीबीआई केस में भी केजरीवाल को जमानत मिलती है तो वह भले ही जेल से बाहर आ जाएंगे, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज नहीं संभाल पाएंगे। इससे पहले इसी बेंच ने 10 मई को जब 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी तब भी केजरीवाल पर ऐसी शर्तें लगाईं गईं थीं।

कोर्ट ने कहा है कि जब तक केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अंतरिम जमानत पर हैं वह मुख्यमंत्री दफ्तर या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा केजरीवाल तब तक किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं जब तक कि एलजी से मंजूरी लेने के लिए ऐसा करना आवश्यक ना हो। एक अन्य शर्त के तहत केजरीवाल मौजूदा केस में अपनी भूमिका को लेकर कोई बयान नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल किसी गवाह से बात नहीं कर सकते हैं और ना ही इस केस से जुड़े किसी आधिकारिक फाइल को वह देख सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि अंतरिम जमानत को बड़ी बेंच बढ़ा सकती है या वापस भी ले सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री 90 दिनों से अधिक समय से जेल में बंद हैं और जब तक बड़ी बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेती है, उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद पर बने रहना है या इसे छोड़ना चाहिए यह फैसला खुद उन्हें करना है। अदालत ने इस पर हस्तक्षेप से इनकार किया।

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