राजस्थान/ नई दिल्ली। राजस्थान को लेकर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है। सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से बात की है। रविवार को हुए घटनाक्रम के बाद पहली बार दोनों के बीच बातचीत हुई है। गहलोत ने कहा है कि हमने कभी आलाकमान को चुनौती नहीं दी। रविवार को जिस तरह से राजस्थान कांग्रेस में सियासी उठापटक मची उसके बाद से ही आलाकमान के नाराज होने की खबरें आ रहीं थीं। इससे पहले भी एक बार खबर आई थी कि सीएम गहलोत (Ashok Gehlot) बात सोनिया गांधी से हुई है मगर पार्टी सूत्रों ने बताया था कि उनकी कोई बात नहीं हुई थी।
राजस्थान पहुंचे कांग्रेस पर्यवेक्षक अजय माकन से गहलोत गुट के विधायकों ने मुलाकात नहीं दी थी। 102 विधायकों ने सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इसके अलावा गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के सामने कुछ शर्तें रख दीं थीं। पार्टी आलाकमान इस हरकत से नाराज हो गया था। भारत जोड़ो यात्रा में मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने भी इस अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त न किए जाने की बात कही थी। इसके साथ ही पार्टी नेताओं ने कहा था कि अब गहलोत को पार्टी चीफ नहीं बनाना चाहिए। गहलोत पूरी तरह से अलग-थलग भी पड़ गए थे। बताया जा रहा था कि गहलोत गुट के कई विधायक भी नाराज हुए थे।
परोक्ष रूप से सचिन पायलट खेमे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा,’ हम अपनी वफादारी सिद्ध कर चुके हैं, सिद्ध तो उनको करना है जिन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक कराने यहां आए कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी माकन ने सोमवार को कहा था कि (गहलोत के वफादार विधायकों द्वारा) विधायक दल की आधिकारिक बैठक में न आकर उसके समानांतर बैठक करना अनुशासनहीनता है।
रविवार को हुआ था विवाद
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात को मुख्यमंत्री के निवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार विधायक इसमें नहीं आए। इन विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी से मिलने गए और अपने इस्तीफे उन्हें सौंपे। इन विधायकों की ओर से धारीवाल, जोशी व प्रताप सिंह खाचरियावास जाकर माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले।
आलाकमान के सामने रख दी थीं शर्तें
माकन ने कहा था कि इन लोगों ने विधायक दल में लिए जाने वाले प्रस्ताव के लिए तीन शर्तें रखी। इस पर महेश जोशी ने कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा कि हमारी ये तीन बातें प्रस्ताव का हिस्सा बनें। हमने ये कहा कि हमारी ये तीनों बातें आप आलाकमान तक पहुंचा दीजिए उसके बाद आलाकमान जो फैसला करेगा उसके अनुसार हम एक लाइन का प्रस्ताव पारित करेंगे। जोशी ने कहा,’ या तो हम अपनी बात (प्रभारी व पर्यवेक्षक) अजय माकन को समझा नहीं पाए या अजय माकन हमारी बात को समझ नहीं पाए। मैं नहीं जानता कि यह असंमजस कैसे हुआ।