आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कोई दल अपनी लाइन तय कर पाए हों या नहीं लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बता दिया है। उनके भाषणों से स्पष्ट है कि वह बिना किसी लागलपेट के अपनी बात रख रहे हैं। उन्हें किसी की परवाह नहीं। अयोध्या में गत तीन नवम्बर को दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह वही अयोध्या है जहां राम भक्तों पर गोली चलाई जाती रही है। यह वही अयोध्या है जहां लोग (सरकार) आने की बात तो दूर, इधर देखना भी मुनासिब नहीं समझते थे। भाजपा शासन में समय बदल गया है। आज वह लोग मंदिरों की चौखट पर माथा पटकने को विवश हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लोकतंत्र की ताकत का तकाजा है कि जनता ने केन्द्र में 2014 में और 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाई। तब से देश का माहौल बदल गया है। उपेक्षित हिन्दू जनमानस मुख्यधारा में आ गया। अब यहां कांवड़ यात्रा निकाली जा रही है। राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह वही अयोध्या है जहां प्रभु श्रीराम की शोभा यात्रा पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की जा रही है। कावंड़ यात्रा निकालने में अब कोई व्यवधान उत्पन्न करने का साहस नहीं जुटा सकता है। योगी की यह सीधी चुनौती उन लोगों को है जो इसी प्रदेश में मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा को भी पार कर जाते थे।
योगी ने कहा कि अब उन लोगों की बेचैनी बढ़ गयी है। उन्हें घबराहट हो रही है। वह भी मंदिर-मंदिर भटक रहे हैं। अगली कारसेवा हुई तो वह लोग(विपक्ष) भी कारसेवा करने के लिए कतार में खड़े दिखाई देंगे। यही हमारी जीत है।
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सवाल उठता है कि आखिर उत्तर प्रदेश हो या देश में अब कौन सी कारसेवा होने वाली है। क्या मुख्यमंत्री का इशारा मथुरा और काशी की तरफ था? सच मानें तो योगी से कुछ देर पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उसी रामकथा पार्क के मंच से कहा कि हम लोग वर्षों पूर्व यह नारा लगाया करते थे कि अयोध्या की तैयारी है, काशी-मथुरा की बारी है। अब तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर का शिलान्यास किया है। दीपोत्सव के अवसर पर ही योगी ने 2023 तक मंदिर निर्माण पूर्ण होने का ऐलान कर दिया है। योगी के भाषणों से साफ संकेत मिल रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी हों या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दोनों नेता संतुलन बनाकर चलने वाले हैं। इन्होंने उपेक्षित बहुसंख्यक समाज की आस्था का जितना सम्मान किया है, उससे कहीं ज्यादा सबका साथ सबका विकास के मूलमंत्र पर देश और प्रदेश में योजनाएं संचालित की हैं। इसलिए विपक्ष यदि इस भ्रम में रहेगा कि वह उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को विकास के मुद्दे पर घेरने में सफल होगा तो यह उसकी भूल होगी। 2022 में योगी आदित्यनाथ से मुकाबला करने के लिए विपक्ष को चौतरफा तैयारी करनी होगी।