करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत आज रखा जा रहा है. यह व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. करवा चौथ पर सुहागनें पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की दीर्घायु के उपवास रखती हैं और रात को चंद्र दर्शन के बाद ही कुछ ग्रहण करती हैं. इसलिए इस दिन सुहागनों को बड़ी बेसब्री से चांद के निकलने का इंतजार रहता है. आइए जानते हैं कि इस साल आपके शहर में करवा चौथ का चांद कितने बजे दिखाई देगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट से लेकर 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट तक रहने वाली है. उदिया तिथि के चलते करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा.
कितने बजे दिखेगा करवा चौथ (Karwa Chauth) का चांद?
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ (Karwa Chauth) पर चांद निकलने का समय रात 8 बजकर 14 मिनट बताया जा रहा है. हालांकि भारत के विभिन्न शहरों में इसका समय थोड़ा अलग भी हो सकता है.
आपके शहर में कितने बजे दिखेगा चांद
शहर | चंद्रोदय का समय |
दिल्ली | रात 8 बजकर 13 मिनट |
गुरुग्राम | रात 8 बजकर 13 मिनट |
गाजियाबाद | रात 8 बजकर 13 मिनट |
नोएडा | रात 8 बजकर 13 मिनट |
मुंबई | रात 8 बजकर 55 मिनट |
कोलकाता | शाम 7 बजकर 45 मिनट |
चेन्नई | शाम 7 बजकर 30 मिनट |
चंडीगढ़ | रात 8 बजकर 8 मिनट |
लुधियाना | रात 8 बजकर 11 मिनट |
देहरादून | रात 8 बजकर 4 मिनट |
शिमला | शाम 7 बजकर 48 मिनट |
पटना | शाम 7 बजकर 48 मिनट |
लखनऊ | रात 8 बजकर 42 मिनट |
इंदौर | रात 8 बजकर 33 मिनट |
भोपाल | रात 8 बजकर 26 मिनट |
अहमदाबाद | रात 8 बजकर 47 मिनट |
जयपुर | रात 8 बजकर 22 मिनट |
रायपुर | शाम 7 बजकर 43 मिनट |
करवा चौथ (Karwa Chauth) पर कैसे खोलें व्रत
करवा चौथ (Karwa Chauth) पर सुबह सूरज निकलने से पहले सरगी खा लें. स्नानादि के बाद भगवान को याद करते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित करें. करवा माता की भी एक तस्वीर स्थापित कर लें. उनके समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें. उन्हें चावल, रोली, जल, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें.
इसके बाद दोपहर के समय या अभिजीत मुहूर्त में करवा चौथ (Karwa Chauth) की कथा सुनें. इसके बाद शाम को शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा करें. उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाएं. फिर पूजा के बाद छन्नी से चंद्रमा के दर्शन करें और अपने पति का चेहरा भी देखें. इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करके उपवास खोलें.