वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रंगों के पर्व होली की मस्ती युवाओं के सिर चढ़कर बोल रही है। महापर्व के पूर्व संन्ध्या पर रविवार को युवा होलिका दहन की तैयारी में लगे रहे।
अपने मोहल्ले और कालानियों के होलिका का आकार बढ़ाने के लिए पूर्वांह 09 बजे से पूरे दिन युवा और किशोरों की टोली दुकानों,प्रतिष्ठानों के साथ घर-घर चंदा उगाहने में जुटी रही। ढ़ोल नगाड़े की थाप पर रंग गुलाल उड़ाते युवा लम्बे सुनहरे बाल के विंग तथा तरह-तरह के वस्त्र पहन कर मस्ती भी करते रहे।
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शहर और ग्रामीण अंचल में युवा राहगीर , सवारी व निजी वाहनों को रोक कर चंदा लेते रहे। गलियों में छोटे-छोटे बच्चे रस्सी और बांस की बैरिकेडिंग कर होलिका के नाम पर चंदा उगाहते रहे। लोग अपने घरों में रखे पुराने लकड़ियों,पुराने टूटे-फूटे फर्नीचरों को भी होलिका में रखते रहे।
घरों में महिलाओं ने बच्चों और बुजुर्गो को तेल और उपटन से मालिश कर उसके अवशेष को होलिका में समर्पित कर घर परिवार में सुख शान्ति की कामना की। कई मोहल्लों में युवाओं ने पर्यावरण को ध्यान में रख गोहरी (गोबर के उपले) से होलिका सजाया।
पूरे दिन चन्दा उगाही के बाद युवा चौकाघाट लकड़ी मण्डी में पहुंचे। यहां से लकड़िया खरीदने के बाद ट्राली से होलिका स्थल पर उसे ले आये और होलिका में रख विशाल आकार दिया।
दहन का शुभ मुहूर्त शाम सात बजे से रात 12.39 तक, रंगों का पर्व सोमवार को
गोधूलि बेला के बाद होलिका दहन युवा करेंगे। होलिका दहन का मुहुर्त शाम सात बजे से लेकर रात 12:39 बजे तक है। नगर के ज्योतिषविद मनोज उपाध्याय के अनुसार दिन में और भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के मुहूर्त के समय सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी मिल रहा है। शाम छह बजे तक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और उसके बाद हस्त नक्षत्र होगा। इसके साथ ही वृद्धि नाम का योग अत्यंत शुभकारक है।
मनोज उपाध्याय ने बताया ये शुभ संयोग देश और समाज के लिए मंगलकारी है। होलिका दहन के बाद सोमवार को होली मनाई जायेगी।