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आजम खान का अखिलेश पर बड़ा हमला, कहा- जड़ में अपनों ने डाला जहर

azam khan

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रामपुर।  यूपी के रामपुर जिले की सदर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान (Azam Khan) शुक्रवार को सीतापुर जेल (Sitapur Jail) से 27 महीने के बाद जमानत पर रिहा हो गए हैं। रामपुर पहुंचते ही आजम खान (Azam Khan) ने इशारों में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर बड़ा हमला बोला है। आजम (Azam Khan) के परिवार ने पहले ही उपेक्षा का आरोप लगाकर साफ कर दिया था कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पार्टी के दिग्गज नेता का भरोसा खो चुके हैं। अब आजम ने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि ज्यादा जुल्म अपनों ने ही किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि दरख्तों की जड़ों में अपनों ने ही जहर डाला है।

आजम खान (Azam Khan) ने जेल में बिताए अपने संघर्ष के समय को याद करते हुए कहा कि वह बेहद कठिन दिन थे। कहा कि हमें जेल में ऐसे रखा गया जैसे अंग्रेजों के जमाने में उन कैदियों को रखा जाता था, जिन्हें दो-तीन दिन में फांसी होने वाली होती थी।

आजम (Azam Khan) ने बताया कि हमारे बैरक के पास ही फांसी घर भी था। हमने जेल में कैसे वक्त गुजारा है, हम ही जानते हैं। पत्नी और बच्चे के आने के बाद बहुत तन्हा महसूस किया। जेल में सुबह होती थी तो शाम का इंतजार और शाम होती थी तो सुबह का इंतजार रहता था मेरे परिवार के साथ जो हुआ कभी नहीं भूल सकते।

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समर्थकों का शुक्रिया अदा करते हुए आजम खान (Azam Khan) ने कहा कि हम पर ज्यादातर जुल्म हमारे अपनों ने किया है। इन सूखे दरख्तों की जड़ों में जहर डालने वाले हमारे अपने हैं। माना जा रहा है कि आजम खान का इशारा अखिलेश यादव की ओर है। हाल ही में आजम के करीबियों ने खुलकर आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव ने बुरे वक्त में साथ नहीं दिया है। इसके बाद आजम खान ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की ओर से भेजे गए दूतों से मिलने से इनकार कर दिया था।

आजम खान (Azam Khan) ने कहा कि मेरे शहर को उजाड़ दिया था, सिर्फ इसलिए कि यहां तुम्हारी आबादी है। तारीख तो तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है लेकिन भुलाया नहीं जा सकता।

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आजम खान ने अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा कि जिंदगी की शुरूआती दौर में जब एएमयू में सेक्रेट्री थे तब मुल्क में इमरजेंसी लगी, तब हमें पौने दो साल बनारस की जेल काटी थी। जब जिंदगी की शुरूआत हुई थी उस वक्त भी हालात ने हमसे कुर्बानी ली थी और जिंदगी के इस मोड़ पर एक बार फिर कुर्बानी ली चालीस साल का यह लंबा सफर बेकार नहीं जाएगा आसमान की कसम खाकर कहता हूं कि इन सूखे दरख्तों में फिर कपोले फूटेंगी। फिर बहार आएगी।

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