वाराणसी। मोक्षतीर्थ महाश्मशान मणिकर्णिकाघाट (manikarnikaghat) पर मंगलवार को अपने सम्बन्धी की शवयात्रा में आये शोकाकुल परिजन हैरत में पड़ गये। जब उन्होंने जलती चिताओं के सामने डमरूओं की निनाद और नगाड़े की थाप पर लोगों को चिता भस्म (Chita Bhasm) से होली खेलते देखा।
धर्म नगरी काशी की अनूठी परम्परा को जान तब काशीपुराधिपति (Baba Vishwanath ) के गौना की रस्म में अपने दु:ख को भूल हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से फिजाओं को गुंजायमान कर दिया। इस अद्भुत नजारे को अपने कैमरे में कैद करने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक घंटों पहले से ही महाश्मशान मर्णिकर्णिकाघाट (manikarnikaghat) पहुंच गये थे।
काशी में मान्यता और परम्परा के अनुसार रंगभरी एकादशी पर काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath ) जगत जननी गौरा पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं। तब तीनों लोक से लोग उनके स्वागत सत्कार को आते हैं। इस समारोह में भाग लेने से वंचित भोले के प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं पलक पावड़े बिछाये चराचर जगत के स्वामी के इंतजार में रहती है। बाबा (Baba Vishwanath) भी अपने प्रिय भक्तों (Devotees) के साथ रंगभरी एकादशी गौने के दूसरे दिन महाश्मशान (manikarnikaghat) पर चिता की भस्म सेहोली (Holi) खेलते हैं।
मणिकर्णिकाघाट पर चिता भस्म होली की तैयारी
काशी में पौराणिक मान्यता है कि इस दौरान किसी न किसी रूप में महादेव महाश्मसान पर उपस्थित रहते है। महाश्मसान मणिकर्णिका समिति के चैनु प्रसाद और गुलशन कपूर के अगुवाई में दर्जनों शिव भक्तों ने महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा मशान नाथ को विधिवत भस्म, अबीर, गुलाल और रंग चढ़ाकर डमरुओं की गूंज के बीच भव्य आरती की। इसके बाद यह टोली चिताओं के बीच आ गई और डमरुओं नगाड़े की थाप पर ‘हर हर महादेव’ के जयकारे के बीच वहां चिता भस्म अबीर और गुलाल की होली खेली गई। इसके बाद भगवान शिव के गण स्वरूप आस्थावानों ने चिताओं की भस्म को गंगा तटपर बिखेरकर सुख समृृद्धि और सौभाग्य की कामना किया।
इस बार मोक्ष तीर्थ पर विशेष द्वारिका से आये संदेश के कारण चिता भस्म की होली में कृष्ण जी के पसंद के रंगों को भी शामिल किया गया था। गुलशन कपूर बताते है कि काशी में मान्यता है कि औघड़दानी मसाननाथ बनकर बाबा विश्वनाथ खुद महाश्मशान में होली खेलते हैं और मुक्ति का तारक मंत्र देकर सबको तारते हैं। घाट पर यह परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।
बाबा का गौना उत्सव शुरू, 15 मार्च को भूतनाथ खेलेंगे चिता-भस्म की होली
मान्यता है की मृत्यु के बाद जो भी मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए आते हैं, बाबा उन्हें मुक्ति देते हैं। यही नहीं, इस दिन बाबा उनके साथ होली भी खेलते हैं। शिवाराधना समिति के डॉ मृदुल मिश्र बताते है कि इस नगरी में प्राण छोड़ने वाला व्यक्ति शिवत्व को प्राप्त होता है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि महाश्मशान ही वो जगह है, जहां कई वर्षों की तपस्या के बाद महादेव ने भगवान विष्णु को संसार के संचालन का वरदान दिया था। इसी घाट पर शिव ने मोक्ष प्रदान करने की प्रतिज्ञा ली थी। काशी दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को भी मंगल माना जाता है। यहां शव यात्रा में मंगल वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है।