नई दिल्ली| सरकार ने सरसों के तेल में किसी भी अन्य खाद्य तेल की मिलावट पर एक अक्टूबर से रोक लगा दी है। यानी एक अक्टूबर से लोगों को अब शुद्ध सरसों का तेल मिलेगा।
सरसों के तेल में चावल की भूसी, सोयाबीन और पाम ऑयल के तेल की मिलावट नहीं की जा सकेगी। खाद्य तेल उद्योग की दिग्गज हस्तियों ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश में सरसों दाने का उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य तेलों के आयात में कमी होगी।
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फॉर्च्यून ब्रांड के तहत खाद्य तेल बेचने वाली अडाणी विल्मर और धारा ब्रांड के तहत खाद्य तेलों का विपणन करने वाली मदर डेयरी ने इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। अडाणी विल्मार के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंगशु मल्लिक ने कहा, ”यह एक अच्छा फैसला है।
उपभोक्ताओं को अब शुद्ध सरसों का तेल मिलेगा। सरसों के तेल में चावल की भूसी, सोयाबीन और पाम ऑयल के तेल की मिलावट की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद अब पांच लाख टन अतिरिक्त सरसों के तेल की जरूरत होगी, जिसे मिलाया जा रहा था।
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कोविड-19 महामारी की वजह से कम मांग पर पिछले वर्ष में 2019-20 तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में भारत का समग्र वनस्पति तेल आयात लगभग 134-135 लाख टन घट सकता है। मल्लिक ने सुझाव दिया कि खाद्य नियामक को इस फैसले के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना होगा और अवैध रूप से सम्मिश्रण रोकना होगा।
मदर डेयरी के एक प्रवक्ता ने कहा, ”यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक फैसला है और ये हर तरह से उपभोक्ताओं, किसानों और ईमानदारी से शुद्ध सरसों का तेल बेचने वालों के हित में है, क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे सरसों तेल के बड़े बाजारों में उपभोक्ताओं को गुमराह किया गया था और सरसों के तेल के नाम पर मिलावट वाला तेल बेचा जा रहा था।