नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत देश के कई शहरों में युवाओं का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। सड़कों पर उतरे लाखों युवा भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन का विरोध कर रहे थे। लेकिन, सरकार को हिंसक प्रदर्शनों के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से बैन हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह बैन 4 सितंबर से लगाया गया था।
दरअसल, नेपाल में सोमवार को हुए जोरदार प्रदर्शन के दौरान लोगों ने नेपाली संसद परिसर में घुसकर विरोध जताया। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों के साथ हिंसक झड़प भी हुई। राजधानी में हालात इतने बेकाबू हो गए कि काठमांडू में कर्फ्यू लगाना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया (Social Media) पर बैन के अलावा सरकार पर संस्थागत भ्रष्टाचार और देश में बढ़ती बेरोजगारी को नियंत्रित करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। इन विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 20 लोगों की जान चली गयी है, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने कैबिनेट की एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में सोशल मीडिया (Social Media) साइटों पर बैन लगाने का फैसला वापस ले लिया गया। नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने इसके बारे में जानकारी दी। गुरुंग ने बताया कि सूचना मंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों को काठमांडू के मध्य में संसद के सामने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने वाले ‘GEN-Z’ समूह की मांगों के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया है।
गुरुंग ने कहा, “देशव्यापी GEN-Z आंदोलन में अराजक और प्रतिक्रियावादी तत्व शामिल हो गए थे। GEN-Z आंदोलन की मांगें भ्रष्टाचार की जांच और प्रतिबंधित इंटरनेट मीडिया की बहाली थी, लेकिन सरकारी कार्यालयों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की गई, इसके बाद कई दुखद घटनाएं हुईं।”









