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आसाराम पर लिखी गई किताब के प्रकाशन पर लगी रोक हटी, बाजार में आने का रास्ता साफ

आसाराम पर किताब

आसाराम पर किताब

दिल्ली हाईकोर्ट ने आसाराम पर लिखी गई किताब पर लगी अंतरिम रोक हटा दी है। इस किताब का प्रकाशक हार्पर कोलिंस है। पटियाला हाउस कोर्ट की रोक को दिल्ली हाईकोर्ट ने दरकिनार कर दिया। अब यह किताब बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध हो पाएगी।

हार्पर कोलिंस की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत की रोक के फैसले को वो खारिज कर रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि प्रकाशक को इस किताब के शुरुआती या आखिरी पेज पर एक फ्लायर लगाकर पाठकों को ये बताना होगा कि शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता की अपील अभी राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इससे किताब पढ़ने वाले पाठकों को किसी तरह का भ्रम न रहे और उन्हें इस मामले से जुड़ी पूरी जानकारी किताब के माध्यम से मिल जाए।

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दरअसल बलात्कार के मामले में आसाराम बापू के साथ-साथ उनकी खास शिष्या शिल्पी गुप्ता के खिलाफ भी इस मामले में सजा सुनाई गई थी। किताब पर रोक लगाने के लिए निचली अदालत में याचिका भी संचिता गुप्ता की तरफ से ही लगाई गई थी, जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने किताब पर रोक लगा दी थी।

संचिता गुप्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसके खिलाफ आए फैसले पर अपील विचाराधीन है, इसलिए इस किताब के वितरण और प्रकाशन पर रोक लगनी चाहिए। निचली अदालत ने इस किताब के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाते हुए अपना आदेश दिया कि बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने के खिलाफ आसाराम की अपील अभी राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए इस किताब के प्रकाशन का फैसला नहीं लिया जा सकता।

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आसाराम पर लिखी गई किताब का नाम ”गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम कन्विक्शन” (Gunning for the Godman: The True Story behind the Asaram Bapu Conviction) है। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रकाशक और वादी महिला के वकीलों की दलीलें सुनी थीं। आसाराम बलात्कार मामले में सह-दोषी वादी महिला की याचिका पर निचली अदालत ने किताब के वितरण पर रोक लगा दी थी। हालांकि हाईकोर्ट ने अब इस रोक को हटा दिया है। हार्पर कोलिंस की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट में जिरह की।

बता दें, आसाराम पर आधारित पुस्तक गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम कन्विक्शन अजय लांबा, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, जयपुर और संजीव माथुर ने लिखी है. इसे 5 सितंबर, 2020 को जारी किया जाना था लेकिन उससे एक दिन पहले ही कोर्ट में याचिका लगाकर किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई। इस केस में एक महिला भी वादी है। महिला की ओर से पेश हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा कि किताब में मानहानि करने वाली सामग्री मौजूद है। कामत ने तर्क दिया कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार इस जिम्मेदारी के साथ है कि इससे दूसरों की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचे।

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