देश के कोने कोने से आए सैकड़ों कृष्ण भक्त सोमवार को वृन्दावन में बांकेबिहारी महराज की रथयात्रा देखकर भाव विभोर हो गए।
मन्दिर की प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय डा आनन्द किशोर गोस्वामी की प्रेरणा और भक्तों के योगदान से बने स्वर्ण रजत रथ पर ठाकुर बांके बिहारी महराज ने आज भक्तों को रथ यात्रा का आनन्द दिया।
करीब 160 किलो चांदी के कुछ भाग में किये गए सोने के पानी के साथ 16 फुट लम्बे ,4 फुट चौड़े और 8 फुट ऊंचे रथ को चार फुट ऊंचे चांदी के निर्मित घोड़े खींच रहे थे। ठाकुर जी रथ में विराजमान थे और उनके ऊपर चांदी का छत्र लगा हुआ था। रथ यात्रा के बाद इसे रथ घर में पुनः स्थापित कर दिया गया ।
मन्दिर के राजभोग सेवायत आचार्य ज्ञानेन्द्र किशोर गोस्वामी ने बताया कि रथ यात्रा के पूर्व लगभग दो घंटे देहरी पूजन वैदिक मंत्रों के मध्य बालकिशन गोस्वामी के आचार्यत्व में बिहारी जी महराज के शिष्यों ने किया। बिहारी जी महराज के जगमोहन में पधारने के पहले उसे गुलाब जल से धोया गया था तथा सव सौ इत्र की शीशियों से उसे सुवासित किया गया था। यशोदा भाव से सेवा होने के कारण ही मन्दिर में देहरी पूजन किया जाता है।
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देहरी पूजन के बाद बिहारी जी महराज गर्भगृह से जगमोहन में जब सोने चांदी के रथ में पधारे तो वातावरण भक्ति भाव से परिपूर्ण हो गया। मन्दिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि इस अनूठी रथ यात्रा ने बिहारी जी महराज के भक्तों को इतना अधिक भाव विभोर कर दिया कि जो कोई मन्दिर के अन्दर घुस जाता बाहर निकलने का नाम न लेता तथा उसे बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला जाता ।फूल बंगले के मध्य स्वर्ण रजत रथ अलग ही चमक रहा था।
रथ यात्रा का समापन राजभोग आरती और बिहारी जी महराज के जय जयकार से हुआ। बिहारी जी महराज की अनूठी रथयात्रा वर्ष में एक दिन ही भक्तों को पिछले 9 साल से देखने को मिल रही है।