भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami) माघ मास की अष्टमी तिथि यानि 8 फरवरी दिन मंगलवार को है. इस दिन से सूर्य के उत्तरार्ध का समय शुरू होता है. सूर्य उत्तरार्ध साल का सबसे पवित्र अर्धांश माना गया है.
8 दिनों तक बाणों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए उत्तरायण का इंतजार किया था, जिसके बाद इस दिन उन्होंने इसी दिन अपनी देह का त्याग किया था. इस बार भीष्म अष्टमी 8 फरवरी दिन मंगलवार को है.
मान्यता है कि इस दिन यदि कोई जातक व्रत और अनुष्ठान करता है तो उसे संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है. आइये जानते हैं इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त…
पूजा मुहूर्त
अष्टमी तिथि का आरंभ- 08 फरवरी, दिन मंगलवार सुबह 06 बजकर 15 मिनट
समापन- 09 फरवरी, दिन बुधवार सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक
पूजा मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक.
राहुकाल का समय- 08 फरवरी, दिन मंगलवार अपराह्न 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक.
भीष्म पितामह ने अपने अंतिम समय में युधिष्ठिर दी थीं ये शिक्षा
बाणों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह के पास भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर पहुंचे थे. तब भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर का दुख दूर करने के लिए उन्हें शिक्षा दी थी कि…
1- गुस्से पर काबू करना सीखें.
2- क्षमा करना सबसे बड़ा गुण है.
3- जो भी काम करें, उसको पूरा जरूर करें.
4- किसी भी चीज से और लोगों से जुड़ने से बचें.
5- व्यक्ति के जीवन में धर्म हमेशा पहले आना चाहिए.
6- कड़ी मेहनत करें, सबकी रक्षा करें.
7- सदैव मन में दया भाव बनाए रखें.