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भूपेंद्र हुड्डा बोले- किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता से हल हो

भूपेंद्र सिंह हुड्डा Bhupendra Singh Hooda

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

हरियाणा के पानीपत की अनाज मंडी में अव्यवस्थाएं और किसानों की परेशानी को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रविवार को भारतीय जनता पार्टी सरकार पर जमकर बरसे और उसे किसान विरोधी करार दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने आरोप लगाया कि मंडियों में ना तो ढंग से फसलों की ख़रीद हो रही है और ना ही किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रही है। ना किसान को गेट पास मिल रहा, ना फसल रखने के लिए जगह। ना मंडी में बारदाने की व्यवस्था है, ना उठान की। ना मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल ढंग से चल रहा और ना ही नमी नापने की मशीन ढंग से चल रही। उन्होंने सरकार से किसानों की समस्या का तुरंत समाधान करने की मांग की है।

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मंडियों का जायज़ा लेने के बाद उन्होंने किसानों, आढ़ती, मजदूरों और अधिकारियों से बात भी की। उन्होंने मौक़े पर मौजूद अधिकारियों को किसानों की समस्याएं दूर करने के निर्देश दिए। इसके अलावा जो अधिकारी मौक़े पर मौजूद नहीं थे, नेता प्रतिपक्ष ने उन्हें फोन करके अव्यवस्थाओं से अवगत करवाया।

उन्होंने कहा कि अनाज मंडियों में हर जगह अव्यवस्था और सरकारी अनदेखी नज़र आती है। ऐसा लगता है जैसे अन्नदाता को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। इस वक्त धान की आवक जोरों पर है लेकिन सरकारी ख़रीद शुरू होने के दो हफ्ते बाद भी प्रदेश सरकार एक वेब पोर्टल तक ठीक नहीं चला पाई। चंद सेकेंड में जिस तकनीकी ख़ामी को दूर किया जा सकता है, उसको दूर करने में इतने दिन लगाए जा रहे हैं। कभी पोर्टल के ना चलने तो कभी नमी का बहाना बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। नमी नापने वाली मशीनों को लेकर भी लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। कई-कई दिनों से किसान मंडियों में डेरा डाले बैठे हैं लेकिन उनकी ख़रीद नहीं की जा रही है। मजबूरी में किसानों को अपना पीला सोना (धान) सड़क पर डालना पड़ रहा है।

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फसलों की आवक के मुक़ाबले अब तक बमुश्किल 5 से 10 फीसदी फसलों की ही ख़रीद हुई है। बाकी फसलों को किसान मजबूरी में ओने-पौने दाम पर प्राइवेट एजेंसियों को बेच रहा है। जिन किसानों की सरकारी ख़रीद हुई है, उन्हें अभी तक पेमेंट नहीं दी गई है। सरकार को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी धान, बाजरा, मक्का और कपास की ख़रीद करे और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दे। इतना ही नहीं जिन किसानों ने मजबूरी में कम रेट पर अपनी फसल बेची है, उनकी भरपाई भी सरकार को करनी चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तीन नए कृषि क़ानून लागू करके सरकार ने प्राइवेट एजेंसियों को खुली लूट की इजाज़त दे दी है। ये एजेंसियां सरकारी अव्यवस्था का फ़ायदा उठाकर किसान की धान को 500 से 1000 रुपए कम रेट पर ख़रीद रही हैं। इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1000 से लेकर 1200 रुपये तक की चपत लगाई जा रही है।

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यही हाल बाजरा और कपास का है। एक तरफ ख़ुद बीजेपी के विधायक मंडियों की अव्यवस्था के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं, दूसरी तरफ भाजपा के ही नेता गोहाना में रैली करके सब कुछ सही होने का दावा कर रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि अगर भाजपा नेताओं को हक़ीक़त देखनी है तो राजनीतिक मंच छोड़कर हमारी तरह मंडियों में आएं और किसानों से बात करें।

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