नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। कड़ाके की ठंड के बाद भी किसान सीमा पर डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते हम यहीं बैठे रहेंगे।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है। इसके बाद 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई है उससे भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है। मान का कहना है कि वह किसानों के जज्बात को देखते हुए कमेटी से अलग हुए हैं। उनका कहना है कि वह किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे और उनके हितों के खिलाफ कभी नहीं जाएंगे।
भूपिंदर मान के फैसले को राकेश टिकैत ने बताया आंदोलन की वैचारिक जीत
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, भूपिंदर सिंह मान का सुप्रीम कोर्ट की समिति से अलग होना किसान आंदोलन की वैचारिक जीत है। हम भूपिंदर सिंह मान को आमंत्रित करते हैं कि वह भी आंदोलन में शामिल हों। राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार का गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक होगा।
26 जनवरी की परेड में कई लाख ट्रैक्टर शामिल होंगे। पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जाएगा। हिंसा करने वाले किसी भी शख्स से किसान संगठनों का कोई लेना-देना नहीं है। अगर आंदोलन में कोई भी हिंसा करता है तो वह खुद इसका जिम्मेदार होगा। वह आगे बोले कि, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी की परेड के लिए दिल्ली सरकार से पांच लाख राष्ट्रीय ध्वज की मांग की है।
ग्रेटर नोएडा के जलपुरा सेक्टर एक निवासी खुर्शीद सैफी टायर पंक्चर का काम करते हैं। उन्होंने यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में सेवा करने के लिए अपनी चलती-फिरती 800 कार को लगा दिया है। इस चलती फिरती दुकान में टायर पंचर से लेकर हवा भरने और कई प्रकार का सामान रखा हुआ है। वह आंदोलन में शामिल किसानों की गाड़ियों में कमी को दूर करने का काम कर रहे हैं।