पश्चिम बंगाल में गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि सीबीआई अदालत की निगरानी में ही जांच करेगी।
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि हत्या और दुष्कर्म के मामलों की जांच सीबीआई करेगी, वहीं अन्य मामलों की जांच एसआईटी करेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि एसआईटी जांच के लिए बंगाल कैडर के वरिष्ठ अधिकारी टीम के हिस्सा होंगे। अदालत ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को सीबीआई को मदद करने को कहा है। गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
ये आदेश इस प्रकार हैं-
- चुनाव बाद हत्या और बलात्कार के सभी केस की जांच सीबीआई को दी जाए।
- चुनावी हिंसा से जुड़े दूसरे केस की जांच अदालत की निगरानी में गठित एक स्पेशल जांच टीम करेगी। अदालत ने इस कमेटी का गठन कर दिया है। ये कमेटी पुलिस अधिकारी सुमन बाला साहू (डीजी रैंक अधिकारी) और दो अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में काम करेगी। ये कमेटी 6 हफ्तों की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट अदालत में सौंपेगी। इसके बाद इस मामले पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।
- कोर्ट के निर्देश के बिना किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
- पीड़ितों को सीधे उनके बैंक खाते में मुआवजा दिया जाएगा।
- जांच पारदर्शी तरीके से होगा और राज्य सरकार की सभी एजेंसियां जांच एजेंसियों की मदद करेगी।
- वैसा कोई भी केस जो चुनाव बाद हिंसा से नहीं जुड़ा है उसे जांच के लिए संबंधित अधिकारी को सौंपा जाएगा।
- इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार के मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक और विधायक पार्था भौमिक की एक याचिका खारिज कर दी। इस अपील में इन दोनों की एक अपील को भी खारिज कर दिया है।
बता दें कि तीन अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने हिंसा से संबंधित जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों से उसी दिन तक कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने को भी कहा था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा था कि क्या 13 जुलाई को प्रस्तुत अंतिम एनएचआरसी रिपोर्ट में अतिव्यापी होने वाले किसी भी मामले में कोई स्वत: संज्ञान लिया गया था।
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मानवाधिकार आयोग की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी माना था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुष्कर्म व हत्या जैसे मामलों की जांच सीबीआई से कराई जाए और इन मामलों की सुनवाई बंगाल के बाहर हो। वहीं अन्य मामलों की जांच विशेष जांच दल(एसआईटी) से कराई जानी चाहिए। संबंधितों पर मुकदमे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाए, विशेष लोक अभियोजक तैनात किए जाएं और गवाहों को सुरक्षा मिले।
मानवाधिकार आयोग ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव के बाद की हिंसा के आरोपों की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया था।आयोग ने यह आरोप लगाया था कि भारी जनादेश के साथ जीतने वाली टीएमसी ने आंखें मूंद लीं, जब उसके समर्थक भाजपा कार्यकर्ताओं से भिड़ गए और कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा दिया।
बता दें कि दो मई को विधानसभा परिणामों की घोषणा के बाद, पश्चिम बंगाल के कई शहरों में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाएं हुईं।